धनबाद(DHANBAD) | तो जानिए बिहार के भागलपुर में स्थित सुल्तानगंज के अजगैबीनाथ मंदिर का इतिहास. इस मंदिर पर जल चढ़ाने के बाद सावन और भादो में हजारों हजार श्रद्धालु जल लेकर बाबा बैद्यनाथ धाम को जाते है. लेकिन यहां के पंडित और पुरोहित बाबा धाम में जल चढ़ाने कभी नहीं जाते. उनका मानना है कि बाबा भोले अजगैबीनाथ मंदिर में ही रहते हैं और सिर्फ श्रृंगार के वक्त देवघर मंदिर जाते है. इसके पीछे एक पुरानी परंपरा बताई जाती है. सुल्तानगंज के अजगैबीनाथ मंदिर का सीधा संबंध बाबा बैद्यनाथ मंदिर से है. सुल्तानगंज जाने वाले भक्त पहले अजगैबीनाथ मंदिर में बाबा भोले को जल अर्पण करते है. उसके बाद जल लेकर बाबा बैद्यनाथ के लिए रवाना होते है.
जानिए -क्या है पुरानी परंपरा
ऐसा देखा गया है कि बाबा बैजनाथ धाम जाने वाले श्रद्धालु अजगैबीनाथ मंदिर में बाबा भोले पर जलार्पण जरूर करते है. लेकिन एक विशेष बात यह है कि अजगैबीनाथ के पुजारी देवघर में जल चढ़ाने नहीं जाते. इसके पीछे कहा जाता है कि एक पुरानी परंपरा काम करती है. सैकड़ों साल पहले अजगैबीनाथ के महंत और उनके शिष्य सुल्तानगंज से जल भर कर रोज बाबा धाम जाया करते थे. एक बार भगवान शिव ने वेश बदलकर महंत की परीक्षा लेने की कोशिश की. वह परीक्षा कुछ ऐसी थी कि साधु के वेश में भगवान शंकर पहुंचकर संकल्पित जल को पिलाने के लिए कहा. इस पर दोनों ने कहा कि यह संकल्पित जल है, यह सिर्फ बाबा बैद्यनाथ पर ही चढ़ेगा. महंतो ने कहा कि हम आपको दूसरी जगह का जल पिला देते है. लेकिन साधु के बेष में पहुंचे भोले शंकर ने इंकार कर दिया.
भगवान् शिव ने दिए दर्शन
इसके बाद भगवान शिव अपने असली रूप में आकर दोनों को दर्शन दिए और कहा कि रोज देवघर आने की जरूरत नहीं है. वह अजगैबीनाथ में ही रहते है. बस श्रृंगार के वक्त देवघर जाते है. भगवान शिव ने महंतों को आशीर्वाद देते हुए कहा कि अजगैबीनाथ मंदिर में पिंड के पास ही उनके भी दो पिंड रहेंगे, जिस पर जल अर्पण करने के बाद ही भक्तों को शिव का आशीर्वाद मिलेगा. इसके बाद से ही भक्त अजगैबीनाथ पर जल चढ़ाने के बाद ही कांवर लेकर बाबा बैजनाथ धाम के लिए रवाना होते है. अजगैबीनाथ मंदिर मंदिर की संरचना नाव की तरह है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
4+