दुमका(DUMKA):दुमका के कन्वेंशन सेंटर में सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय (एसकेएमयू) का 8वां दीक्षांत समारोह सम्पन्न हुआ.राज्यपाल सह कुलाधिपति संतोष कुमार गंगवार की अध्यक्षता में दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया.
विद्यार्थियों के कठिन परिश्रम और समर्पण का प्रतीक है दीक्षांत समारोह: कुलाधिपति
राज्यपाल सह कुलाधिपति संतोष कुमार गंगवार ने विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों को उपाधियाँ प्रदान की और उनकी शैक्षणिक उपलब्धियों पर बधाई दी.अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि यह दीक्षांत समारोह विद्यार्थियों के कठिन परिश्रम और समर्पण का प्रतीक है, साथ ही इसमें उनके अभिभावकों, शिक्षकों और समाज का भी योगदान है. उन्होंने कहा कि भारत माता के वीर सपूत सिदो कान्हू ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ ‘संथाल विद्रोह’ का नेतृत्व किया, जिसे ‘हूल क्रांति’ भी कहा जाता है. सिदो-कान्हु ने न केवल संथाल जनजाति के अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष किया, बल्कि उनके इस संघर्ष ने पूरे देश को स्वतंत्रता के लिए प्रेरित किया, कहा कि सिदो कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय केवल एक शैक्षणिक संस्थान नहीं है, बल्कि यह जनजातीय समाज की संस्कृति, इतिहास और गौरव का प्रतीक है.उन्होंने छात्रों से आह्वान किया कि वे सिदो-कान्हु के आदर्शों से प्रेरणा लेकर समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करें.
शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ रोजगार प्राप्त करना नहीं होता : राज्यपाल
राज्यपाल ने शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ रोजगार प्राप्त करना नहीं है, बल्कि यह नैतिकता, सहानुभूति और नेतृत्व कौशल का विकास करना भी है. विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे अपने ज्ञान और कौशल का उपयोग न केवल अपनी व्यक्तिगत प्रगति के लिए, बल्कि समाज और राष्ट्र की उन्नति में भी करें. उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों द्वारा अर्जित शिक्षा और कौशल राष्ट्र निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कड़ी है. हमारे युवा अपने ज्ञान और कौशल का उपयोग समाज की बेहतरी और देश के विकास के लिए करेंगे, तभी एक सशक्त और आत्मनिर्भर भारत का निर्माण हो पायेगा.उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय से जनजातीय और ग्रामीण समुदायों के उत्थान में विशेष योगदान की अपेक्षा है.
रिपोर्ट-पंचम झा
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