दुमका(DUMKA): सीता सोरेन जब भाजपा प्रत्याशी के रूप में पहली बाद दुमका पहुचीं थी और बाबूपाड़ा स्थित चुनावी कार्यालय में पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा उनके स्वागत में नारेबाजी की जा रही है. इस दौरान कार्यकर्ताओं ने एक नया नारा दिया जिसे आप सुन सकते हैं. नारा है भाभी - दीदी जिंदाबाद
भाजपा में शामिल होने के बाद सीता के लिए कार्यकर्ताओ ने लगाया था नया नारा
चलिए अब आपको इस नारे के बारे में बताते हैं. दरअसल दुमका की बेटी होने के नाते पूर्व मंत्री डॉ लुइस मरांडी को ना केवल पार्टी कार्यकर्ता बल्कि युवा वर्ग भी दीदी से संबोधित करते हैं, ठीक उसी तरह जैसे हेमंत और बसंत सोरेन भैया कहलाते हैं, उस नाते भाजपा जॉइन करने के बाद सीता सोरेन जब दुमका पहुचीं तो कार्यकर्ताओं ने एक नया नारा देकर एक साथ भाभी - दीदी के जयकारे लगाए.
लोकसभा चुनाव में हार के बाद सीता ने दिया था भाजपा के कुछ नेता के खिलाफ विस्फोटक बयान
नारा नया था. बरबस लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा. समय के साथ लोकसभा चुनाव सम्पन्न हुआ. परिणाम सीता सोरेन के पक्ष में नहीं आया.खामोशी की चादर ओढ़े सीता सोरेन रांची के लिए रवाना हुई.रांची में मीडिया के समक्ष विस्फोटक बयान दे कर सीता ने हार का ठीकरा पूर्व मंत्री डॉ लुईस मरांडी, रणधीर सिंह और निवर्तमान सांसद सुनील सोरेन पर फोड़ते हुए बिकाऊ और गद्दार तक कह दिया था.
सीती के बयान से देवर अब है उनसे नराज
वहीं सीता सोरेन के इस बयान पर पूर्व मंत्री लुईस मरांडी ने प्रतिक्रिया देते हुए पूरे मामले की जांच की मांग की है. लेकिन दीदी के भाई को यह बयान नागवार गुजरा. इस तरह का बयान देकर सीता सोरेन ने अपने देवरों को भी नाराज कर दिया हैं. जिसके बाद नाराजगी का आलम सोशल मीडिया साइट्स पर तेजी से देखने को मिल रहा है इस बीच लुइस मरांडी और उनके समर्थक मीडिया में कोई बयान दे रहे हैं, लेकिन सोशल साइट्स पर किए जा रहे पोस्ट को पढ़ कर नाराजगी का अंदाजा लगाया जा सकता है.
कहीं घर वापसी के लिए इतना ताना बाना तो नहीं?
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर भाजपा में किन कार्यकर्ताओं के सहारे सीता सोरेन राजनीति करेंगी. झामुमो छोड़ भाजपा में आई, लेकिन कोई समर्थक साथ नहीं ला सकी हैं. चुनाव में देवर बनकर कार्यकर्ताओं ने काम किया लेकिन चुनाव हारने के साथ ही बयान देकर देवरों को भी नाराज कर दिया. कहीं सीता सोरेन का भाजपा से मोह भंग तो नहीं हो गया? कहीं घर वापसी के लिए इतना ताना बाना तो नहीं?
रिर्पोटःपंचम झा
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