धनबाद(DHANBAD): फिर एक बार साबित हुआ कि धनबाद पर सरस्वती और लक्ष्मी की बराबर कृपा है. धनबाद की आरती और आदर्श सीबीएसई बोर्ड की परीक्षा में स्टेट टॉपर बने हैं. 12वीं साइंस में डीपीएस धनबाद के आदर्श कुमार स्टेट टॉपर हुए हैं जबकि राजकमल सरस्वती विद्या मंदिर की आरती मेहरिया बारहवीं कॉमर्स में स्टेट टॉपर बनी है. आर्ची मूलतः देवघर की रहने वाली है. देवघर के पालाजोरी की रहने वाली आर्ची बारहवीं कॉमर्स में स्टेट टॉपर बनी है. माता-पिता से दूर रहकर आर्ची ने धनबाद में हॉस्टल में रहकर पढ़ाई की और टॉपर बन कर सभी को गौरवान्वित कर दिया. उसके अनुसार देवघर से दसवीं के बाद वह धनबाद आ गई. यहां एडमिशन लिया. 2 साल तक स्कूल में पढ़ाई की और टॉपर बनी.
12वीं में 97% मार्क्स लाकर अपने स्कूल डीएवी सिंदरी की टॉपर बनी
कुमकुम का कहना है कि वह self-study पर ही ज्यादा ध्यान दिया और आगे की पढ़ाई वह दिल्ली यूनिवर्सिटी में करना चाहती है. इधर, सिंदरी की कुमकुम की कहानी सफलता की एक प्रेरणादायक कहानी बन चुकी है. सिंदरी की रहने वाली कुमकुम 12वीं में 97% मार्क्स लाकर अपने स्कूल डीएवी सिंदरी की टॉपर बनी है. कुमकुम की सफलता कई मायनों में विशेष है. परीक्षा चल रही थी और कुमकुम आंखों में आंसू लिए परीक्षा हॉल जा रही थी. कहानी सुनकर पत्थर दिल भी पसीज जाएगा. कल्पना मात्र से ही रूह कांपने लगेंगे. 1 मार्च 2023 को बलियापुर में एक हादसा हुआ. इस हादसे में कुमकुम ने अपने माता और पिता को खो दिया. जिस समय यह हृदय विदारक हादसा हुआ, उस समय कुमकुम की चार विषयों की परीक्षा बची हुई थी. उसके बाद वह करे तो क्या करें. आंखों के आंसू रुक नहीं रहे थे. माता-पिता खोने का सदमा उसे विचलित कर रहा था, लेकिन कुमकुम ने खुद को संभाला और पिता के सपनों ने उसे सहारा दिया. उसके बाद उसने परीक्षा देने का निर्णय लिया, वह रोती रहती, आंसू पोछती रहती लेकिन पढ़ाई करती. श्राद्ध कर्म के बीच उसने चार विषयों की परीक्षा दी. शुक्रवार को जब रिजल्ट आया तो वह स्कूल टॉपर बन चुकी थी. धनबाद जिले में उसे छठवां स्थान मिला है. उसे पढ़ाने वाले शिक्षक और शिक्षिकाएं खुश है. कुमकुम की कहानी एक प्रेरणादायक कहानी बन चुकी है.
पापा का सपना पूरा करना चाहती है कुमकुम
माता पिता के निधन के बाद अपने नाना नानी के पास रह रही है. कुमकुम कहती है कि इस परिस्थिति से लड़ना आसान नहीं था. जो हालात सामने थे उसकी कभी कल्पना नहीं की थी. समझ नहीं आ रहा था कि आगे परीक्षा कैसे दें ,लेकिन उस वक्त पापा की बातें याद आई. वह कहते थे बेटी अच्छे से पढ़ाई करो, पापा के इसी कथन ने साहस दिया, हिम्मत दी और वह परीक्षा दी. उसका प्रयास होगा कि पापा के सपनों को वह पूरा करें. पापा का सपना था इंजीनियर बनो और लीक से हटकर कुछ करो, वह आगे इसके लिए प्रयास करेगी.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो
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