रांची(RANCHI): होली रंगों का पर्व है. अलग-अलग स्थानों पर होली खेलने का थोड़ा बहुत अलग अंदाज होता है. मथुरा,वृंदावन, हरिद्वार जैसे आप स्थानों पर होली में अलग रंग दिखते हैं. पटना, दिल्ली, रांची, लखनऊ, इलाहाबाद तमाम स्थानों पर होली पूरे उत्साह और उमंग से चली जा रही है.
अब हम बताते हैं आपको रांची में एक ऐसा पावन स्थल है जहां की होली बेहद खास होती है. यहां भगवान खुद भक्तों से होली खेलने के लिए आते हैं. यह परंपरा में शामिल होली का पसंद है जिसे आज भी इस क्षेत्र के लोग निभाते हैं. यह स्थान है रांची के बोड़िया का. यहां भगवान के साथ होली खेलने के बाद ही लोग अबीर गुलाल किसी को लगाते हैं भगवान खुद भक्तों के बीच आकर होली खेलते हैं. बोड़िया में स्थित है मदन मोहन मंदिर. यह मंदिर 350 साल से अधिक पुराना है. रातू महाराज के द्वारा दान की गई भूमि और धनराशि से इस मंदिर का निर्माण हुआ है.
मदन मोहन मंदिर का जो वास्तुशिल्प है,वह भी बड़ा अद्भुत है. इसमें मंदिर पूरी तरह से शिला पत्थर से बना हुआ है. इस मंदिर को बनाने में 4 साल लगे थे. इस पर कुल खर्च उस समय 14001 स्वर्ण मुद्रा हुआ था. रातू महाराजा ने उत्तर प्रदेश के कन्नौज से आए पुरोहित परंपरा के लोगों को जमीन और धन दान में दिया था. इस मंदिर के पुजारी बालमुकुंद पांडे कहते हैं कि होली से जुड़ा जो प्रसंग है, वह यह है कि यहां की होली ब्रज की तर्ज पर होती है. भगवान श्री कृष्ण अपनी राधा के साथ गर्भ गृह से निकलकर मंदिर परिसर में आते हैं. यहां भक्तों उनका इंतजार करते हैं. बोड़िया गांव के लोगों का कहना है कि जब तक यहां के लोग भगवान को गुलाल अबीर प्रसाद स्वरूप नहीं चढ़ा देते, तब तक यहां के लोग गुलाल नहीं लगाते हैं. उसके बाद ही यहां पर होली खेली जाती है.
यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. भगवान श्री कृष्ण यहां पर भक्तों को दर्शन भी देते हैं.पवित्र मन से जो भी भक्त यहां आते हैं, मदन मोहन उनकी मनोकामना पूरी करते हैं. यहां के पुजारी बालमुकुंद पांडे का कहना है कि कई बार भगवान नहीं आया दर्शन दिए हैं. उन्होंने अपना अनुभव बताते हुए कहा कि एक बार भजन के दौरान घंटे की जरूरत थी और उनके मुंह से ऐसे ही निकल गया. बात शाम की थी और दूसरे दिन सुबह एक अज्ञात व्यक्ति ने उन्हें आकर घंटा सौंपा. वह व्यक्ति ना तो गांव का था और ना ही फिर कभी लौट कर आया. ऐसा प्रतीत हुआ जैसे साक्षात श्री कृष्ण या मदन मोहन ही यहां पधारे थे. इस मंदिर की देखरेख करने वाले कोषाध्यक्ष गोपाल नारायण तिवारी कहते हैं कि इस मंदिर में भगवान का दर्शन करने के लिए दूरदराज से लोग आते हैं. इस मंदिर में जो भी जल होता है.वह इधर- उधर कहीं नहीं, बल्कि यहां बने सॉक पिट में ही जमा होता है. यह वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण वाला भी मंदिर है. आप सुधि पाठक अगर चाहें तो रांची में इस पावन मंदिर का दर्शन कर सकते हैं.
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