DHANBAD : सावन ने करवट भर ली कि बिगड़ गई शहर की सूरत


धनबाद (DHANBAD) : उतरते सावन ने थोड़ा अपना रंग दिखाया तो किसानों के चेहरे पर थोड़ी खुशी तो लौटी लेकिन इसी हल्की बारिश ने धनबाद की सूरत बिगाड़ दी है. साथ ही नगर निगम की सफाई व्यवस्था की पोल पट्टी खोल कर रख दी है. सड़कों पर पानी जमने लगा है, जिन मोहल्लों में पानी जमा होते आया है, वहां रहने वाले भयभीत हैं. उन्हें डर है कि कहीं फिर पिछले साल वाली स्थिति ना पैदा हो जाये. आपको बता दें कि थोड़ी तेज बारिश होने से धनबाद के कई मोहल्ले पानी में डूब जाते हैं. पिछले साल भी इसको लेकर खूब हो हल्ला हुआ था लेकिन काम कुछ हुआ नहीं.
मौसम के पहले कोई प्लानिंग नहीं होती
होता यह है कि किसी भी मौसम के पहले कोई प्लानिंग नहीं होती, जिसके कारण समस्याएं होती हैं. बरसात के पहले बिजली विभाग पेड़ों की कटाई -छंटाई कर बिजली के तारों को वृक्षों की डालियों से अलग करने की व्यवस्था करता था. वह सब सपने की बात हो गई है. बरसात के पहले नालों की सफाई युद्ध स्तर पर करने की परिपाटी थी, वह भी अब केवल कहने सुनने की बात रह गई है. धनबाद के किसानों की बात करें तो धनबाद में कुल 43 000 हेक्टेयर जमीन पर धान की खेती होती है. बारिश नहीं होने से फिलहाल सुखाड़ की स्थिति है.
अब 25% से अधिक पैदावार हो ही नहीं सकती
जानकार बताते हैं कि अगर अब से लगातार बारिश होती भी है और धान की रोपाई कर भी ली जाती है तो पैदावार केवल 25% ही हो सकती है ,वह भी पूरी ताकत झोंकने के बाद लोग अभी से ही चिंतित है. लोकेश अग्रवाल का कहना है कि धनबाद का दुर्भाग्य है कि यहां किसी भी योजनाओं की सही प्लानिंग नहीं होती. सड़के तो बन रही हैं लेकिन कनेक्टिंग नालियों का सिस्टम सही नहीं है. नालियां ऊंची है और सड़क निचे. ऐसे में सड़क का पानी नालियों में जाएगा कैसे, एक तो धनबाद में सही सीवरेज सिस्टम नहीं है. उसके अलावा छोटे बड़े नालों की सफाई नहीं होती. ऐसे में पानी का बहाव आखिर कैसे होगा. बैंक मोड़ चेंबर ऑफ कॉमर्स के महा सचिव प्रमोद गोयल कहते हैं कि बारिश जरूरी है, किसानों के लिए भी और शहर में रहने वाले लोगों के लिए भी. लेकिन जब हल्की बारिश में शहर की नारकीय स्थिति हो जाए तो इसे सिस्टम फेल होना ही कहा जाएगा.
निगम का चुनाव नहीं होना भी बड़ा कारण
उन्होंने कहा कि धनबाद में लोकतंत्र की बजाय ब्यूरोक्रेसी चल रही है. सरकार निगम का चुनाव नहीं करा रही है ,ब्यूरोक्रेट्स जमीन पर आकर सच्चाई देखते नहीं, नतीजा होता है कि कोई काम सही ढंग से नहीं होता है. धनबाद के लोग अब हताश और निराश हो गए है. वही बैंक मोड़ चेंबर के अध्यक्ष प्रभात सुरोलिया ने कहा कि निगम की पोल हर बरसात में खुलती है, कहा जाता है कि अगले साल तक सब ठीक कर लिया जाएगा लेकिन होता कुछ नहीं है. चुनाव नहीं होने का नुकसान यह है कि जनता की समस्याओं की सही जानकारी अधिकारियों तक नहीं पहुँचती. अगर निगम का चुनाव हो जाए तो 55 वार्ड के वार्ड पार्षद अपने अपने क्षेत्र के लिए भी कुछ करें तो लोगों को कुछ राहत मिल सकती है. प्रभात सुरोलिया ने कहा कि जो सड़कें बन रही है, उनकी हालत भी दो तीन माह में ही बिगड़ जाती है. उन्होंने पीसीसी सड़क पर तो पूरी तरह से पाबंदी लगाने की मांग कर डाली.
रिपोर्ट : शाम्भवी सिंह के साथ प्रकाश
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