रांची(RANCHI): मरांगबुरु को लेकर पूर्व भाजपा सांसद सालखन मुर्मू की चेतावनी का असर अब दिखने लगा है, रेलवे को झारखंड, बंगाल, उड़ीसा सहित पांच राज्यों में दर्जनों ट्रेनों का परिचालन रद्द कर करना पड़ा है. राजधानी, नीलांचल, पुरुषोतम, हाबड़ा बड़बिल जनशताब्दी सहित कई ट्रेने विभिन्न स्टेशनों पर फंसी हुई है. देवघर, कोल्हान, और बंगाल के खड़गपुर रेलवे स्टेशनों पर सालखन मुर्मू के समर्थकों के द्वारा रेलवे ट्रेक को जाम कर दिया गया है.
माना जाता है कि अभी और भी कई ट्रेनों को बाधित किया जा सकता है. अब तक की मिली जानकारी के अनुसार रेलवे के द्वारा कई ट्रेनों का रुट बदलने की घोषणा की गयी है, जबकि कुछ ट्रेनों के यात्रियों का किराया रिफंड किया जा रहा है.
यहां बता दें कि पूर्व भाजपा सांसद और आदिवासी सेंगेल अभियान के संयोजक सालखन मुर्मू के द्वारा मरांग बुरु को आदिवासियों को सौंपने की मांग को लेकर रेलवे चक्का जाम किये जाने घोषणा की गयी है.
हेमंत सोरेन के एक बयान के बाद गरमायी राजनीति
दरअसल सम्मेद शिखर विवाद के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के द्वारा दिये गये एक बयान को सालखन मुर्मू राजनीतिक मुद्दा बना रहे हैं. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने बयान में सम्मेद शिखर को जैनियों का पवित्र धार्मिक स्थल बताया था. अब इसी को मुद्दा बना कर लोबिन हेम्ब्रम और सालखन मुर्मू और दूसरे आदिवासी नेताओं के द्वारा आंदोलन चलाया जा रहा है, इनका दावा है कि सम्मेद शिखर उनका मरांगबुरु हैं, मरांगबुरु पर सदियों से इनके पूर्वजों के द्वारा पूजा किया जाता रहा है, उस स्थल पर बलि और मदिरा का चढ़ावा चढ़ाया जाता रहा है, उनका तर्क है कि मरांगबुरु को जैनियों का पवित्र स्थल बता कर हेमंत सोरेन ने आदिवासी भावनाओं का तिरस्कार किया है.
सालखन मुर्मू ने दी थी बाबरी मस्जिद जैसा हाल करने की चेतावनी
अभी चंद दिन पहले ही सालखन मुर्मू के द्वारा मरांगबुरु पर अपना दावा जताते हुए एक विवादित बयान दिया गया था, सालखन मुर्मू ने दावा किया था कि सम्मेद शिखर का भी यही हाल होगा जो बाबरी मस्जिद का हुआ था, उन्होंने कहा था कि रेल चक्का जाम कर हम सरकार तक अपनी बात को पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यदि इसके बाद भी हमारी बात नहीं मानी गयी तो वही रास्ता अपनायेंगे, जो रास्ता रामजन्म भूमि को लेकर हिन्दूओं क द्वारा अपनाया गया था.
झारखंड और निकटवर्ती राज्यों में गरमाने लगा है मरांग बुरु का मामला
साफ है कि झारखंड और इसके निकटवर्ती राज्यों में मरांग बुरु का मामला गरमाने लगा है, और इस बार आदिवासी समुदाय के निशाने पर खुद राज्य की हेमंत सरकार है. हेमंत सोरेन की सरकार इस मामले में बुरी तरफ फंसी नजर आ रही है, एक तरफ उनका यह बयान है कि यह जैनियों का पवित्र धार्मिक स्थल है, तो दूसरी ओर मरांगबुरु को लेकर यहां के स्थानीय आदिवासी समुदाय की भावनाएँ है, जिनके द्वारा वहां सदियों से लाल मुर्गे की बली और मदिरा का चढ़ावा चढ़ाया जाता रहा है, उसकी पूजा अर्चना की जाती रही है.
आदिवासी समाज के विरोध के बाद बदल गयी हेमंत सोरेन की भाषा
यहां भी ध्यान देने की जरुरत है कि आदिवासी समुदाय के विरोध के बाद इस मुद्दे पर हेमंत सोरेन की भाषा भी बदल गयी, खतियान जोहार यात्रा में गिरिडीह पहुंचते ही सीएम हेमंत ने इसे आदिवासियों की अस्मिता से जोड़ दिया और उनकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने वालों को कड़ी चेतावनी भी दी .
रिपोर्ट: देवेन्द्र कुमार
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