विश्व पटल पर दर्ज हुआ साहिबगंज का पहला रामसर साइट, अब उधवा झील से पूरी दुनिया सुनेगी पक्षियों का कलरव, पढ़ें इसकी खासियत

साहिबगंज(SAHIBGANJ):पूरे देश-दुनिया भर के प्रवासी पक्षियों को अपनी ओर आकर्षित करने वाले उधवा प्रखंड पर स्थित पतौड़ा झील विश्व पटल पर आ गया है,इसे केंद्र सरकार की पर्यावरण,वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने रामसर साइट घोषित कर दिया है. इसके साथ ही उधवा झारखंड का पहला रामसर साइट बन गया है,इसके साथ ही अब इस अभ्यारण्य के संवर्धन व संरक्षण के लिए केंद्र के अलावा विदेशों से भी आर्थिक मदद मिलेगी.
पढ़ें उधवा झील की खासियत
जिला मुख्यालय से 42 किलोमीटर दूर उधवा पक्षी अभयारण्य 565 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है. झील दो वाटर बॉडी से मिलकर बना है. पतौडा झील 155 हेक्टेयर और बड़हेल 410 हेक्टेयर में फैला है. पूरा झील उधवा नाला होते हुए पश्चिम बं गाल के फरक्का स्थित तलताला गंगा घाट से इंटरकनेक्टेड है. उधवा झील बड़ी संख्या में स्था नीय और प्रवासी पक्षियों को आश्रय देता है.19 91 में बिहार सरकार ने उधवा को पक्षी आश्रयणी घोषित किया था.उधवा झील पक्षियों का स्वर्ग है. उनके अनुकूल भोजन,पानी व वातावरण यहां पर्याप्त है. साल के नौ महीने यहां खूब पानी रहता है. प्रवासी और अप्रवासी पक्षी यहां उधवा झील बना रामसर साइट, बनेगा पक्षियों का स्वर्ग जलक्रीड़ा करते देखे जा सकते हैं. दुनिया के कई देशों के अलावा साइबेरिया से भी यहां पक्षी आते रहते हैं.
विलुप्त हो रहे पक्षियों का है ठिकाना
पिछले साल उधवा पक्षी आश्रयाणी में पक्षियों की गणना की गई थी. तब यहां कई ऐसे पक्षी मिले,जो विलुप्त होने की कगार पर हैं. 2024 में एशियन वाटर बर्ड सेंसस की टीम की अभिगणना में 50 प्रजाति के लगभग 10,000 से ज्यादा पक्षी पाए गए थे.वहीं रेड नैक्ड फॉल्कन नामक पक्षी भी देखा गया. सबसे अधिक प्रवासी पक्षी में रेड क्रे स्टेड पोचर्ड, नाथैन पिंटेल, गार्गिनी, गाड वाल, वाइट आइड पोचर्ड, ग्रे वेगटेल, वुड सेंड पाइपर, कॉमन कूट एवं यूरेसियन मार्स हर्रिएर व अन्य पक्षी यहां मौजूद पाए गए थे. डीएफओ प्रबल गर्ग एवं पूर्व डीएफओ मनीष तिवारी ने की कड़ी मेहनत-पूर्व डीएफओ मनीष तिवारी ने उधवा झील को रामसर साइट घोषित कराने के लिए कड़ी मेहनत की थी. 2024 में ही इसका प्रस्ताव मंत्रालय को भेजा गया था, लेकिन उस समय कुछ कमियों की वजह से उधवा झील रामसर साइट नहीं बन पाया था. इधर डीए फओ प्रबल गर्ग ने पूर्व डीएफओ के कार्य को आगे बढ़ाते हुए कई सुधार किए,अंततः वन विभाग के सभी पदाधिकारी व कर्मियों के सहयोग से उधवा झील रामसर साइट घोषित हो गया.
राजमहल के स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने सोशल मीडिया पर दी बधाई
उधवा पक्षी अभयारण्य के रामसर साइट घोषित होने पर राजमहल सांसद विजय हांसदा ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा कि पूरी दुनिया वर्ल्ड वेटलैंड डे मनाने की तैयारी कर रही है.ऐसे में भारत ने भी इस वर्ष चार अंतरराष्ट्रीय महत्व के रामसर साइट घोषित किये हैं.जिसमे राजमहल लोकसभा क्षेत्र के साहिबगंज का उधवा झील भी शामिल है.यह झील ना सिर्फ साहिबगंज जिला बल्कि पूरे झारखंड समेत भारत में भी प्रसिद्ध है,अब इसको अंतरराष्ट्रीय पहचान मिल सकेगी.इस दिशा में उनका व्यक्तिगत प्रयास भी रहा है.सांसद ने इसके लिए राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन,जिले के वन विभाग के अधिकारी,प्रशासनिक अधिकारी का आभार प्रकट करते हुए राजमहल की जनता को ढ़ेर सारी शुभकामनाएं और बधाई दी है.
जलवायु परिवर्तन मंत्री ने की इसकी घोषणा
पर्यावरण-वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने रामसर साइट की घोषणा के तुरंत बाद इसे ट्विटर हैंडल पर सार्वजनिक किया था.उधवा पक्षी अभयारण्य के साथ-साथ तीन और वेटलैंड इसमे शामिल किए गए है, जिसमे तमिलनाडु का सक्क राकोट्टाई पक्षी अभयारण्य,थेर थांगलपक्षी अभयारण्य व सिक्किम का खेचोपालड़ी पक्षी अभयारण्य भी शामिल है.
आखिर क्या है रामसर साइट
ईरान के रामसर शहर में वेटलैंट के संरक्षण को लेकर दो फरवरी 1971 में हुए अंतरराष्ट्रीय समझौते के तहत दुनिया भर के वेटलैंड को चिह्नित कर उसे रामसर साइट का दर्जा दिया जाता है. इसके संरक्षण के लिए मदद भी दी जाती है.इसके लिए कुल 9 मापदंड हैं. जिसमें वेटलैंड में 20 हजार प्रवासी पक्षी आने चाहिए.जिनमें विलुप्त प्राय पक्षी भी शामिल हैं.तीसरा वेटलैंड नैचुरल होना चाहिए. वर्तमान में पूरे विश्व में 2400 से अधिक और भारत में 89 रामसर साइट हो गए हैं.
रिपोर्ट-गोविंद ठाकुर
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