रांची (RANCHI): झारखंड की हेमंत सरकार 11 नवंबर को होने वाले विधानसभा के विशेष सत्र में 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीय नीति का प्रस्ताव पारित करेगी. 1932 के खतियान का मामला काफी संवेदनशील माना गया है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के लिए यह एक चुनावी एजेंडा रहा है. सरकार पर संकट के मद्देनजर मुख्यमंत्री का यह दांव काफी असर दिखा रहा है. सबसे ज्यादा दबाव में प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा है. इस मुद्दे पर न तो वह ठीक से उगल सकती है न निगल सकती है. जाहिर है भारतीय जनता पार्टी एक राष्ट्रीय पार्टी है. उसके हर निर्णय या स्टैंड से राष्ट्रीय राजनीतिक प्रभावित होती है. लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा के लिए यह लोक लुभावन और जन समर्थन का विषय है.
अपने दलिल को क्लियर नहीं कर पा रहे बाबूलाल मरांडी
1932 के हथियार पर स्थानीय नीति के संबंध में कैबिनेट से मंजूर हो गई है. उसी समय से भाजपा पूरे दबाव में है. स्पष्ट रूप से वह कुछ का नहीं कह रही है. बस उसका इतना ही तर्क है कि जिस प्रकार से इसे लागू करने की घोषणा की गई है, वह संभव ही नहीं है और कोर्ट में यह खारिज हो जाएगा. भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी अभी फिलहाल स्पष्ट रूप से अपने स्टैंड को क्लियर नहीं कर पा रहे हैं. प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश भी पशोपेश में हैं. विरोधी दल के मुख्य सचेतक बिरंची नारायण ने कहा कि सब कुछ 10 नवंबर को होने वाले विधायक दल की बैठक में तय होगा. जाहिर है झारखंड बनने से पहले और उसके बाद भी बड़ी संख्या में गैर आदिवासी लोग इस क्षेत्र में आकर बसे हैं. कोई नौकरी कर रहा है तो कोई रोजगार,ऐसे में एक बड़ा मतदाता वर्ग इस राजनीतिक निर्णय से प्रभावित हो सकता है.
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