धनबाद(DHANBAD): धनबाद में रहकर बिहार में बालू के कारोबार में माफियागिरी करने वालों के खिलाफ एक और मुकदमा हो सकता है. धनबाद पहुंची जानकारी के मुताबिक ब्रांडसंस कमोडिटीज प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ बिहार के प्रवर्तन निदेशालय ने 45 करोड रूपए राजस्व चोरी का एक और मामला पकड़ा है. इसे संबंधित तमाम साक्ष्य की सूची प्रवर्तन निदेशालय ने राज्य की जांच एजेंसी आर्थिक अपराध इकाई को सुपुर्द किया है. साथ ही धन शोधन निवारण अधिनियम का उल्लेख करते हुए इस कंपनी और उसके निदेशकों के खिलाफ एक और एफआईआर करने की सिफारिश की है. संभव है कि आर्थिक अपराध इकाई ब्रांडसंस कंपनी और इसके निदेशकों पर एक और एफआईआर दर्ज करे.
इस कंपनी के निर्देशकों में धनबाद के बालू के कारोबार से जुड़े लोग भी शामिल है. जानकारी निकल कर आ रही है कि सुभाष यादव, अशोक कुमार, राधा चरण सेठ के अलावा धनबाद के मिथिलेश सिंह, बबन सिंह, जगनारायण सिंह, सतीश सिंह समेत अन्य कई बालू माफिया के खिलाफ एक और एफआईआर दर्ज हो सकती है. ब्रांडसंस कंपनी राजस्व चोरी को लेकर धीरे-धीरे कुख्यात हो गई है. प्रवर्तन निदेशालय ने जब इस मामले की जांच शुरू की थी तो बालू के अवैध खनन से 250 करोड रजस्व चोरी की बात सामने आई थी. इसके बाद अतिरिक्त 80 करोड रुपए राजस्व चोरी की बात सामने आई.
अब फिर 45 करोड रुपए राजस्व चोरी की बात सामने आई है. इस तरह राजस्व चोरी का यह ग्राफ बढ़कर 375 करोड रुपए से अधिक तक पहुंच गया है और अभी भी जांच चल ही रही है. अनुमान लगाया जाता है कि राजस्व चोरी का आंकड़ा और अधिक बढ़ सकता है. बिहार के बालू घोटाले को लेकर धनबाद में 5 जून की छापेमारी के साथ ही प्रवर्तन निदेशालय की पहली बार एंट्री हुई थी. इसके पहले धनबाद में कभी प्रवर्तन निदेशालय की छापेमारी नहीं हुई थी. जिनके यहां छापेमारी हुई, जिनकी गिरफ्तारियां हुई ,उनमें से कई पहले स्क्रैप का काम करते थे, कुछ कोयले का काम भी करते थे. किसी का बालू पुश्तैनी धंधा था. इस छापेमारी के बाद कोयलांचल में इस बात की चर्चा खूब चली कि कौन कारोबारी मकड़ी की जाल की तरह किसके साथ कारोबार कर रहा है. एक चेहरे में कितने चेहरे छुपाये रखा है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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