टीएनपी डेस्क(Tnp desk):- गुरुवार की रात बेहद काली थी और आसमान में कोहरे भी चांद-तारों को छुपा दिया था. उस धुंध और घुप्प अंधेरी रात में चार लोगों की जिंदगी भी हमेशा-हमेशा के लिए ओझल हो गयी . बेहद दर्दनाक और अकाल मौत ने जिंदगी का सफर ही थाम दिया. ट्रेन की पटरियों को पार करना कितना खतरनाक और दुस्साहत भरा कदम होता है इसका अहसास भी हो गया और समझ में भी आ गया . हड़बड़ाहट में कोई कदम नहीं उठना चाहिए, बल्कि सब्र के सहारे ही किसी चिज का समाधान करना चाहिए.
ट्रेन से कटकर चार लोगों की मौत
गुरुवार की रात सरायकेला-खरसावां जिले में गम्हरिया रेलवे स्टेशन के पास चार राहगीरों की ट्रेन से कटकर मौत हो गई. बताया जा रहा है कि दुर्घटना के समय उत्कल एक्सप्रेस 120 किलोमीटर की रफ्तार से भाग रही थी. इसलिए ट्रैक पार करते समय राहगीरों को संभलने का मौका ही नहीं मिला. बताया जाता है कि अधिकतर पैदल यात्री इसी रास्ते का इस्तेमाल करते हैं. इस दुर्घटना के बाद रेल ट्रेक पर बेहद ही वीभत्स दृश्य देखने को मिला. सफाई कर्मचारी टार्च की मदद से बाल्टी में एक-एक शव के अंग को चुनते रहे और इसमे डालते रहे. दरअसल, गम्हरिया स्टेशन से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर नीमपाड़ा गांव का रास्ता है, जहां पर चार लोगों की दर्दनाक मौत हो गयी.
पलक झपकते चपेट में आ गए राहगीर
योग नगरी ऋषिकेश से पुरी को जा रही उत्कल एक्सप्रेस का गम्हरिया या आदित्यपुर स्टेशन पर ठहराव नहीं है . इसलिए ट्रेन भी अपने तय निर्धारित 120 किलोमीटर की रफ्तार से चल रही थी , जिसके चलते पलक-झपकते ही राहगीर ट्रेन की चपेट में आ गए. उन्हें संभलने के लिए चंद सेकेंड का भी मौका ही नहीं मिला और प्राण पखेरु उड़ गये. दुर्घटना के बाद स्थानीय थाना की पुलिस और जीआरपी चश्मदीदों की तलाश कर रही है.
इस ट्रेक के रास्ते से आने जाने के पीछे की वजह ये है कि घटनास्थल के बगल में ही आदित्यपुर औद्योगित क्षेत्र का फेज-6 है. यहां अधिकांशता बड़ी कंपनियां संचालित है. ऐस में हजारों स्थानीय निवासी नीमपाड़ा, उदयपुर, बगान पाड़ा, बड़ा गम्हरिया बस्ती सहित अन्य इलाकों से पैदल ही ड्यूटी आने-जाने के लिए इसी रास्ते से बास्को नगर स्थित औद्योगिक क्षेत्र में आते हैं. यहां दिक्कत ये है कि कोई लेवल क्रासिंग या फुट ओवरब्रिज नहीं है. इसके बावजूद स्थानीय निवासी अवैध रुप से इस रास्ते का इस्तेमाल करते हैं.
बेहद दर्दनाक था मंजर
ट्रेन की रफ्तार के चलते टक्कर इतनी जोरदार थी कि तीन शव पूरी तरह से क्षत-विक्षत हो गए थे और शरीर के अलग-अलग अंग दूर तक बिखर गये. उस सन्नाटे भरी रात में चिख-पुकार मच गयी थी. बिखरे पड़े अंगों को समेटने के बाद जब पूरा ट्रेक सफा हुआ, तब ही ट्रेनों का परिचालन शुरु हो गया.
घटनास्थल के पास इतना अंधेरा था कि रिलीफ टीम को जनरेटर की मदद से बड़े-बड़े एलईडी लाइट जलाकर क्षेत्र में रोशनी करके राहत का काम करना पड़ा .
टाटानगर रेलवे स्टेशन पर भी इसे लेकर काफी हलचल देखने को मिली. लगभग सात बजे एक-एक कर पांच बार हुटर बजाए गए. इसके बजते ही स्टेशन में मानों हड़कंप मच गया. हर कोई एक-दूसरे को यही पूछने में लगा रहा कि आखिर क्या हुआ. अंदेशा ये जताया जा रहा था कि कहीं कोई यात्री ट्रेन बेपटरी तो नहीं हुई है क्योंकि मंगलवार को ही टाटानगर रेलवे स्टेशन पर एक मालगाड़ी के तीन डिब्बे बेपटरी हो गये थे.
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