धनबाद(DHANBAD):डॉ प्रदीप वर्मा को बीजेपी ने झारखंड से राज्यसभा उम्मीदवार घोषित कर दिया है. एक सीट बीजेपी के खाते में जाएगी और एक सीट गठबंधन के खाते में. राज्यसभा की दो सीट खाली हो रही है. डॉक्टर प्रदीप वर्मा को बीजेपी ने क्यों राज्यसभा का प्रत्याशी बनाया, इसके क्या माने मतलब हैं. इसकी चर्चा बीजेपी खेमे में खूब हो रही है. डॉक्टर प्रदीप वर्मा अभी प्रदेश बीजेपी के महामंत्री हैं. वह ओबीसी बिरादरी से आते हैं. इनका परिवार मूल रूप से उत्तर प्रदेश का रहने वाला है. लेकिन रांची में बहुत दिनों से रह रहा है. राज्यसभा में उन्हें क्यों एडजस्ट किया गया है.इसके पीछे बीजेपी के उच्च पदस्थ सूत्र बताते हैं कि इनका नाम रांची से बीजेपी के लोकसभा उम्मीदवार के रूप में आया था लेकिन एन वक्त पर सिटिंग एमपी संजय सेठ पर ही बीजेपी ने दाव लगा दिया. इसके बाद उठी मरमरिंग को शांत करने के लिए डॉक्टर प्रदीप वर्मा को राज्यसभा भेजने का निर्णय हुआ. एक तो यह कारण बताया जाता है.
झारखंड में भी ओबीसी बिरादरी को साधने के लिए यह सब निर्णय लिया गया है
दूसरा कारण यह बताया जाता है कि झारखंड में भी ओबीसी बिरादरी को साधने के लिए यह सब निर्णय लिया गया है .झारखंड में जिन 11 सीटों से भाजपा या उसके सहयोगी दल चुनाव लड़ेंगे, उसमें पांच उम्मीदवार ओबीसी बिरादरी के हैं. इन सीटों में रांची, हजारीबाग, कोडरमा, जमशेदपुर और सहयोगी के लिए गिरिडीह सीट गिनाए जाते है. हालांकि राज्यसभा चुनाव में आशा लकड़ा का नाम भी तेजी से उछला था लेकिन एन वक्त पर समीकरण बदला और डॉक्टर प्रदीप वर्मा राज्यसभा के उम्मीदवार घोषित कर दिए गए. डॉक्टर प्रदीप वर्मा के राज्यसभा उम्मीदवार घोषित होने के बाद धनबाद और चतरा सीट पर भी समीकरण बदल सकता है. हो सकता है कि धनबाद और चतरा सीट से फॉरवर्ड क्लास को टिकट मिल जाए .क्योंकि सिर्फ गोड्डा सीट पर ही फॉरवर्ड वर्ग का उम्मीदवार है. ऐसे में हो सकता है कि समीकरण साधने के लिए धनबाद और चतरा सीट को फारवर्ड क्लास को दे दिया जाए. यह बात तो तय है कि फारवर्ड वर्ग बीजेपी के पक्ष में वोट करते हैं और बीजेपी कभी नहीं चाहेगी कि इस वोट बैंक को नाराज किया जाए.
एनडीए के पास 28 विधायकों का निर्णायक समर्थन है
बीजेपी के पास अपने उम्मीदवार को जीतने के लिए पर्याप्त आंकड़ा है. जीत के लिए प्रथम वरीयता के 27 मतों की जरूरत है. बीजेपी और उसके सहयोगी दल आजसू को मिलाकर कुल 29 विधायकों का समर्थन है. हालांकि सिंदरी विधायक इंद्रजीत महतो अस्पताल में भर्ती हैं. वह आ नहीं सकते हैं. फिर भी एनडीए के पास 28 विधायकों का निर्णायक समर्थन है. निर्दलीय विधायक अमित यादव और राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के विधायक कमलेश सिंह को भी एनडीए का समर्थक माना जाता है. महागठबंधन और बीजेपी की ओर से एक-एक उम्मीदवार ही हुए तो चुनाव नहीं होगा. लेकिन अगर तीसरा उम्मीदवार हुआ तो फिर 21 मार्च को मतदान होगा. कारोबारी हरिहर महापात्र ने भी राज्यसभा के लिए फॉर्म खरीदा है. अगर उन्होंने नामांकन किया तो फिर यह चुनाव रोचक हो सकता है.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
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