धनबाद के कोयला चोरों को अब करेगी रेलटेल कंट्रोल, जानिए क्या हुआ है निर्णय


धनबाद(DHANBAD): बीसीसीएल को कोयला चोरों और अवैध कोयला ट्रांसपोर्टरों ने नाक में दम कर दिया है.पुलिस हो ,प्रशासन हो या बीसीसीएल मैनेजमेंट हो, किसी की भी कार्रवाई का कोयला चोरों और अवैध कोयले के ट्रांसपोर्टरों पर कोई खास असर नहीं होता है. प्रशासन को स्पेशल ड्राइव चलाना पड़ता है. फिर भी कोयला चोरी नहीं थमती. कोयला चोर कहीं अधिकारियों को बंधक बना ले रहे हैं तो कहीं मुहानों को बंद नहीं करने दे रहे है. आजिज बीसीसीएल प्रबंधन ने तकनीकी सुरक्षा के लिए रेलटेल की सुविधा बहाल करने का निर्णय लिया है. मंगलवार को बीसीसीएल के फंक्शनल डायरेक्टर की बैठक में इस पर लगभग सहमति बन गई है.
इसके पहले भी कई तरह के सेफ्टी डिवाइस के प्रयोग हुए हैं
इसके पहले भी कई तरह के सेफ्टी डिवाइस का प्रयोग कर कोयला चोरी रोकने की कोशिश की गई लेकिन परिणाम निकला ढाक के तीन पात. इस बार भी रेलटेल की सेवा लेने का निर्णय लिया गया है, हालांकि अंतिम निर्णय नहीं हुआ है फिर भी उम्मीद की जा रही है कि यह काम शुरू हो सकता है. समूचे बीसीसीएल में रेलटेल की सुविधा बहाल करने में काफी खर्च आ सकता है, इसलिए बीसीसीएल के चार क्षेत्रों में रेलटेल की सुविधा लेने का निर्णय लिया गया है. इन्हीं चार क्षेत्रों से कोयले का उत्पादन अधिक होता है और चोरी भी अधिक होती है.
अधिक प्रोडक्शन करने वाले चार क्षेत्र अधिक प्रभावित
कुसुंडा, सिजुआ, बस्ताकोला और कतरास इन चार एरिया में शामिल है. बीसीसीएल के सभी एरिया की सुरक्षा के मद्देनजर रेलटेल ने सर्वे किया है और चार एरिया को सबसे अधिक प्रभावित बताया है. इन एरिया में सीसीटीवी, जीपीएस एवं अन्य उपकरणों से निगरानी सहित कई तकनीकी उपाय के सुझाव रेलटेल ने दिए है. देखना है कि रेलटेल की सेवा कब से शुरू होती है और कोयला चोरी और कोयले के अवैध ढुलाई पर किस हद तक नियंत्रण लगता है. यह काम इसलिए भी कठिन हो जाता है कि कोयलांचल के अधिकांश सफेदपोश प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से कोयला चोरी अथवा कोयले के अवैध ट्रांसपोर्टिंग में शामिल रहते है. इसी कोयले के पैसे से कोयलांचल की राजनीति चमकती है.
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