धनबाद (DHANBAD) : झरिया के कतरास मोड़ में जैसे पहले सूर्योदय के पहले ही कोयले की मंडी सजती थी, उसी तरह अभी शहर के कई चौक चौराहों पर बालू की मंडी लगती है. बालू की मंडी लगाने वाले किसी भी निरोधात्मक एजेंसी को देखकर चौकस हो जाते हैं और भागम-भाग का खेल शुरू हो जाता है. कारण है कि शहर में जो भी बालू बेधड़क बिक रहे हैं, वह अवैध हैं. एनजीटी की रोक हटने के बाद भी धनबाद के 19 बालू घाटों की नीलामी अभी तक नहीं हुई है. नतीजा है कि बालू के उपभोक्ता दोगुने अथवा 3 गुने मूल्य पर बालू खरीद कर काम चला रहे हैं.
खुब हो रही अवैध कमाई
घाटों की नीलामी नहीं होने से जहां बालू सिंडिकेट को अवैध कमाई में मदद मिल रही है. वहीं निरोधात्मक एजेंसियों की चांदी कट रही है. झारखंड स्टेट मिनरल डेवलपमेंट कारपोरेशन को बालू घाटों की नीलामी करनी है. धनबाद में बालू घाटों की नीलामी डिस्टिक सर्वे रिपोर्ट के कारण लंबित है. 5 घाटों की नीलामी का निर्णय पहले लिया गया था. लेकिन डिस्ट्रिक्ट सर्वे रिपोर्ट नहीं होने के कारण इसमें पेंच फंस गया. अब जाकर 15 बालू घाटों का डिस्ट्रिक्ट सर्वे रिपोर्ट लोगों के सुझाव के लिए पोर्टल पर डाला गया है. निर्धारित अवधि के बाद हो सकता है कि बालू घाटों की नीलामी शुरू की जाए. अभी स्थिति यह है कि बालू गाड़ियां पौ फटने के पहले ही शहर में पहुंच जाती हैं और छापेमारी के डर से मुख्य सड़क को छोड़कर स्ट्रीट सड़कों पर गाड़ियां लगने लगती हैं. बेचने वाले इधर-उधर घूम कर ग्राहक ढूंढते हैं, फिर मुंह मांगी कीमत पर बालू खरीदार के ठिकाने पर पहुंचा दिया जाता है. ऐसी किसी भी गाड़ी में कोई चालान नहीं होता है.
उपभोक्ता परेशान
बालू के उपभोक्ता भी परेशान है. लेकिन वह करें भी तो क्या करें. हालात यह है कि पिछले दिनों छापेमारी करने गए गोविंदपुर के महाराजगंज में बालू सिंडीकेट के लोगों ने अधिकारी को बंधक बना लिया था. अभी हाल ही में गोविंदपुर के सीओ को बरवाड्डा थाना क्षेत्र में भागकर जान बचानी पड़ी थी. दो थानों की पुलिस देर रात पहुंच उन्हें और होम गार्ड के जवानों को सुरक्षित निकाला. हालांकि सीओ के इस कार्रवाई पर कई तरह के सवाल उठे और तरह-तरह की चर्चाएं होती रही.
रिपोर्ट: शांभवी सिंह, धनबाद
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