टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : एक तस्वीर देखकर आपकी रूह कांप जाएगी. या यूं कहें कि मात्र एक तस्वीर ही पूरी कहानी बयां कर देगी. सोच कर ही घृणा हो जाए कि किसी राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था इस तरह से चरमराई है कि दर्द में कराहती गर्भवती महिला को खटोली पर टांग कर ले जाया जाए. ऐसे ही एक तस्वीर झारखंड के गुमला जिला से सामने आयी है. यहां के लिए ये कोई नई कहानी नहीं है, बल्कि इस राज्य के हजारों गांवों की कड़वी सच्चाई है. किरदार बदल जाते हैं, जगहें बदल जाती हैं, लेकिन हालात और तस्वीर नहीं बदलती. यहां पक्की सड़क तो दूर, एक ढंग का कच्चा रास्ता तक नहीं...और इन्ही रास्तों से होते हुए गर्भवती को खटोली के सहारे ले जाते ग्रामीण. तस्वीर आदिवासी बहुल गुमला जिला के रायडीह प्रखंड के रमजावेदवा कोना गांव का है. जो सूबे के मखिया और स्वास्थ्य मंत्री डॉ इरफान अंसारी के तमाम दावों की पोल खोल रही है.
हर दिन, कहीं न कहीं, अखबारों की सुर्खियों में या सोशल मीडिया पर एक नई तस्वीर तैरती है. लोग आक्रोशित होते हैं, सरकार को कोसते हैं, लेकिन जैसे ही तस्वीरें पुरानी पड़ती हैं, उस कराहती महिला और उनके जद्दोजहद में लगे परिवार की आवाजें भी खो जाती हैं. बदलाव के बड़े-बड़े वादे इन पथरीली पगडंडियों पर फिसल जाते हैं, और जो रह जाता है, वह है सिर्फ बेशर्मी का ठोस पहाड़.
जैसे ही इस लाचार व्यवस्था की तस्वीर जिला के डीसी कर्ण सत्यार्थी के सामने आई तो उन्होंने गांव पहुंचकर लोगों को यह भरोसा दिलाया कि जल्द ही गांव में सड़क बनाई जाएगी. ताकि आगे इस तरह की तस्वीर सामने ना आए.
लेकिन सवाल पैदा होता है कि रायडीह में बीडीओ बैठते है रायडीह में स्वस्थ्य केंद्र है उनकी ओर से इस समस्या का समय रहते समाधान क्यों नहीं किया गया. बीमारियों का इलाज तो डॉक्टर कर सकते हैं, लेकिन प्रशासन की संवेदनहीनता और राजनीति के इस ठहरे हुए कीचड़ का उपचार कौन करेगा? यह सवाल उन लाखों झारखंडवासियों की ओर से है, जो हर दिन अपनी आवाजें इस बेबस व्यवस्था की चौखट पर छोड़ देते हैं.
झारखंड का स्वास्थ्य और आधारभूत ढांचा जिस बदहाली का शिकार है, वह केवल सरकारी फाइलों में नहीं, बल्कि इन पथरीली पगडंडियों और खटोलियों पर हर रोज दिखता है. जब तक यह ढांचा नहीं सुधरेगा, ये तस्वीरें आती रहेंगी, और हम सभी इनसे शर्मसार होते रहेंगे.
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