धनबाद(DHANBAD): झारखंड की प्रसिद्ध नदी दामोदर पहले तो बाढ़ की विध्वंसकारी बिभीषिका के लिए जानी जाती थी. लेकिन अब यह खुद अस्तित्व का संकट झेल रही है. प्रदूषित नदियों में यह शुमार है. फिलहाल इस नदी में प्रदूषण को लेकर बीसीसीएल के सीएमडी और चर्चित विधायक सरयू राय में ठन गई है. दोनों एक दूसरे की बातों को काट रहे है. विधायक ने इस मामले को कोर्ट ले जाने की बात कही है. उन्होंने साफ कहा है कि ओ बी डंपिंग, बीसीसीएल की आउटसोर्सिंग परियोजनाओं के कारण दामोदर नदी का प्रदूषण बढ़ रहा है. जबकि सीएमडी का कहना है कि जहां भी डंपिंग हो रही है, वह स्थान नदी से काफी दूर है. दामोदर नदी को ओवर डंपिंग से हो रहे नुकसान को लेकर कौन सच बोल रहा है, कौन झूठ, इसकी लड़ाई छिड़ गई है.
ओबी डंपिंग पर छिड़ा है विवाद
एक तरफ चर्चित विधायक सरयू राय हैं तो दूसरी ओर बीसीसीएल के सीएमडी. दामोदर नदी में या उसके किनारे ओ बी डंपिंग करने, परियोजना से प्रदूषण फैलाने की शिकायत के बाद बीसीसीएल के सीएमडी ने अधिकारियों के साथ इलाके का निरीक्षण किया था. निरीक्षण के बाद उन्होंने कहा कि नदी के किनारे ओबी डंपिंग करने या नदी में गिराने का मामला देखने को नहीं मिला. ऐसा नहीं लगता है कि आउटसोर्सिंग कंपनी के कारण प्रदूषण फैल रहा है. उन्होंने कहा कि ओबी डंपिंग की जगह दामोदर नदी दूर है. स्थानीय प्रबंधन को नदी की तरफ गार्डवाल लगाने का आदेश दिया गया है. डंपिंग स्थल पर नियमित जल छिड़काव के साथ पर्यावरण से संबंधित नियमों का हर संभव पालन करने को कहा गया है.
ओबी डंपिंग से नदी को नुकसान का है आरोप
इधर, जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने कहा है कि भौरा ओपन कास्ट माइंस के ओवर डंपिंग से दामोदर नदी को हो रहे नुकसान के संबंध में सीएमडी का बयान गैर जिम्मेदाराना है. उन्होंने कहा है कि सीएमडी का बयान एक ऐसी कंपनी के अधिकारी का बयान लगता है, जिसका उद्देश्य नियम- कानून को दरकिनार कर लाभ अर्जित करना है. स्थल के चित्र और वीडियो पर्याप्त सबूत है कि ओवर डंपिंग ने दामोदर नदी को नुकसान पंहुचा रहा है. उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर वह कोर्ट जाएंगे और सीएमडी के बयान को भी कोर्ट में पेश करेंगे. दामोदर नदी झारखंड की महत्वपूर्ण नदी है. यह झारखंड के छोटानागपुर से निकलकर पश्चिम बंगाल को पहुंचती है और हुगली नदी के समुद्र में गिरने से पहले वह उससे मिलती है. इसकी कुल लंबाई 592 किलोमीटर है. धनबाद और बोकारो की औद्योगिक इकाइयों के कारण इस नदी का अस्तित्व ही संकट में पड़ गया है. झारखंड में इसे देव नद के रूप में भी जाना जाता है. छोटानागपुर के पहाड़ियों से 610 मीटर की ऊंचाई से यह निकलती है.
झारखंड में यह 290 किलोमीटर सफर तय करती है यह नदी
झारखंड में यह 290 किलोमीटर सफर तय करती है फिर पश्चिम बंगाल में 240 किलोमीटर का सफर तय कर हुगली नदी में मिल जाती है. झारखंड के पलामू से निकलकर यह हजारीबाग, गिरिडीह, धनबाद होते हुए बंगाल में प्रवेश करती है. धनबाद और बोकारो इलाके में नदी सकरी हो गई है और प्रदूषण से कराह रही है. दामोदर नदी को बचाने के लिए आंदोलन भी हुए, लेकिन इसका प्रदूषण घटता नहीं है. अब इसी दामोदर नदी को लेकर विधायक और सीएमडी के बीच ठन गई है. दोनों के अपने-अपने दावे है. देखना है दोनों के दावे में किसकी बात सच निकलती है. इस नदी का अपना इतिहास भी है. इस नदी को बाढ़ की विध्वंसकारी विभीषिका के रूप में भी जाना जाता था. लेकिन आजादी के बाद इसके प्रलयंकारी स्वरूप को कम करने के लिए और इसके पानी का उपयोग करने के लिए दामोदर घाटी परियोजना की संरचना हुई. इसके बाद बाढ़ का प्रलय थमा और नई-नई सिंचाई परियोजनाएं तथा पन बिजली उत्पादन केंद्र की स्थापना हुई. झरिया कोयलांचल में तो इसी नदी के पानी से जलापूर्ति होती है, लोग पीने में इस्तेमाल करते है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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