Politics: आखिर क्यों सिने अभिनेता "बिहारी बाबू" को अपने ही बयान से लेना पड़ गया यू टर्न, पढ़िए इस रिपोर्ट में

TNP DESK: सवाल किये जा रहे है कि आखिर क्या वजह रही कि तृणमूल के सांसद और बिहारी बाबू शत्रुघ्न सिन्हा को अपने पूर्व के बयान से पीछे हटना पड़ा. यूनिफॉर्म सिविल कोड और निरामिष भोजन पर दिए गए बयान पर अब उन्होंने यू टर्न ले लिया है. उन्होंने हाल ही में सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट किया है और कहा है कि वह अपनी पार्टी तृणमूल के साथ हैं और इस मुद्दे पर पूरी तरह ममता बनर्जी के साथ खड़े है. सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने लिखा है कि--Once again "Bihari Babu" turned "Bengali Babu" but "Hindustaani Babu" in true sense maintained that he and his party TMC party"s stance against UCC. मैं और मेरी पार्टी तृणमूल कांग्रेस यूनिफॉर्म सिविल कोड के खिलाफ है.
हर मुद्दे पर तृणमूल के साथ रहने का किया दावा
इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस मुद्दे पर और हर अन्य मुद्दे पर मैं तृणमूल के साथ हूं, बता दें कि कुछ दिनों पहले सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने यूनिफॉर्म सिविल कोड और निरामिष भोजन को लेकर एक बयान दिया था. जिसके बाद राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई थी. उनके बयान को लेकर अटकलें लगाई जा रही थी कि उन्होंने यूनिफॉर्म सिविल कोड का समर्थन किया है. और आमिष भोजन को भी लेकर अलग राय दी है. उनके इस बयान पर विपक्षी दलों ने उनको घेरने की कोशिश की थी और कहा था कि वह त्रिमूल कांग्रेस की आधिकारिक नीति से अलग राय रखते है.
बढ़ते विवाद के बाद शत्रुघ्न सिन्हा ने साफ़ किया अपना स्टैंड
बढ़ते विवाद के बाद शत्रुघ्न सिन्हा ने साफ कर दिया कि वह अपनी पार्टी के विचारों के साथ ही खड़े हैं और यूनिफॉर्म सिविल कोड के खिलाफ है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया गया और उनके शब्दों को तोड़ मरोड़ कर बताया गया. तृणमूल कांग्रेस पहले ही साफ कर चुकी है कि वह यूनिफॉर्म सिविल कोड का विरोध करती है और इसे संविधान में निहित विविधता और धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ मानती है. शत्रुघ्न सिन्हा के सफाई देने के बाद भी यह विवाद थमा नहीं है. देखना है कि आगे -आगे इसमें होता है क्या?बता दे कि फिल्म से सियासत में आए शत्रुघ्न सिन्हा का करियर काफी उतार चढ़ाव वाला रहा है.
90 के दशक में शत्रुघ्न सिन्हा ने राजनीति करियर की शुरुआत की
90 के दशक में शत्रुघ्न सिन्हा ने राजनीति में अपना करियर तलाशने की कोशिश की.उन्होंने पहला चुनाव बीजेपी के टिकट पर साल 1992 में राजेश खन्ना के खिलाफ लड़ा. इस चुनाव में वह 25000 वोटों से हार गए थे. उसके बाद बीजेपी ने उन्हें 1996 और 2002 में राज्यसभा भेजा. फिर उन्हें पटना साहिब लोकसभा सीट से बीजेपी ने चुनावी मैदान में उतारा. इस सीट से वह 2009 और 2014 में लगातार दो बार जीते. शत्रुघ्न सिन्हा राज्य सभा सांसद रहते हुए अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री बने. इसके बाद वह 2014 का चुनाव जीतने के बाद नरेंद्र मोदी की सरकार में परिवहन, पर्यटन और संस्कृति पर स्थायी समिति के सदस्य और विदेश मंत्रालय और प्रवासी भारतीय मामलों के मंत्रालय में सलाहकार समिति के सदस्य बने थे.
मार्च 2022 में टीएमसी में शामिल हो गए
2019 के चुनावों से ठीक पहले शत्रुघ्न सिन्हा ने बीजेपी से रिश्ता तोड़ लिया और 6 अप्रैल 2019 को कांग्रेस में शामिल हो गए. हालांकि यहां भी वह टिक नहीं पाए और मार्च 2022 में टीएमसी में शामिल हो गए. टीएमसी ने उन्हें आसनसोल से टिकट दिया. जहां शुत्रुघ्न सिन्हा ने बीजेपी की अग्निमित्रा पॉल को 3 लाख से अधिक वोटों से पराजित किया था. 2024 में भी तृणमूल के टिकट पर आसनसोल लोकसभा से सांसद चुने गए है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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