टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : ग्रामीण क्षेत्रों के सर्वांगीण विकास के लिए पंचायती राज की व्यवस्था की गई है. बिहार से अलग होने के लगभग 10 साल बाद झारखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की शुरुआत हुई थी. इससे चुन कर आने वाले प्रतिनिधियों का काम है अपने अपने क्षेत्र की समस्या का समाधान और ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराना. लेकिन देवघर के नवादा पंचायत की बात ही अलग है. यहाँ के जनप्रतिनिधियों की मिली भगत से योजनाओं का लाभ लाभुकों को न मिलकर किसी और को दिया जा रहा है. नियम के अनुसार किसी भी कार्य को सम्पन्न कराने के लिए स्थानीय स्तर पर लाभुक समिति का गठन होता है लेकिन इस गांव के लिए नियम को ताक पर रखकर दूसरे गांव के लाभुक समिति का गठन कर कार्य को निष्पादित कर दिया गया. गांव वालों ने इसकी शिकायत जिला के उपायुक्त से कर उचित कार्यवाई की मांग की है.
डराया धमकाया जाता है
सारठ प्रखंड के नवादा पंचायत के नवादा गांव के लोगो का आरोप है कि पंचायत के मुखिया और सचिव द्वारा सभी संचालित योजनाओं में अनियमितता बरती जा रही है।गुणवत्ता का थोड़ा भी ख्याल नही रखा जा रहा है.14 वी और 15 वीं वित्त आयोग की राशि को बिना खर्च किये हड़प ली गई है. इतना ही नही किसी भी योजना के लिए दूसरे गांव के लाभुक लाभुक समिति का गठन कर राशि की बंदरबांट की जा रही है।विरोध करने पर ग्रामीणों को डराने धमकाने का भी आरोप लगाया जा रहा है.
पीएम आवास योजना में भी गड़बड़ झाला
सर्वे के बाद सेक डाटा तैयार किया गया है।इसी अनुरूप ग्रामीण क्षेत्रों में पीएम आवास की स्वीकृति होती है. हर आदमी को छत उपलब्ध कराने के लिए पीएम आवास योजना का युद्ध स्तर पर निर्माण कराया जा रहा है. केंद्र द्वारा भी पर्याप्त मात्रा में राशि उपलब्ध करा दिया जाता है. लेकिन इस नवादा गांव के ग्रामीणों का आरोप है कि वे लोग जर्जर हालत वाले मकान में रहने को मजबूर हैं. पीएम आवास की उन्हें सख्त जरूरत है लेकिन मुखिया और पंचायत सचिव की मिलीभगत से सेक् डाटा में छेड़छाड़ कर आवास दूसरे संपन्न व्यक्ति को पैसा लेकर दे दिया जाता है. हालांकि ग्रामीणों ने यह भी आरोप अपने मुखिया पर लगाया है कि वे भी अपने हैसियत के हिसाब से 5 से 8 हज़ार तक घुस दिए है.
डीसी को आवेदन देकर उचित कार्यवाई की मांग
सारठ के नवादा पंचायत के नवादा गांव ओबीसी ,एससी बहुल है. जहां लगभग 250 घर है. अधिकांश सभी घर पुराने और जर्जर हालत में है. इस गांव के अधिकांश लोगों का नाम पीएम आवास योजना के लाभुकों के तौर पर दर्ज भी है. लेकिन उन्हें आज तक क्यों पीएम आवास योजना का लाभ मिला ये समझ से पड़े हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि पंचायत के मुखिया और सचिव उनके हक को किसी और को रुपये लेकर दे रहे है. गांव में विकास काम में खाली अनियमितता और भ्रष्टाचार है. शिकायत करने पर धमकी दिया जाता है इन तमाम मुद्दों से परेशान ग्रामीण थक हार कर जिला के उपायुक्त को आवेदन दे कर उचित कार्यवाई की मांग की है.
कई चौंकाने वाले विषय आ सकता है सामने
पंचायती राज व्यवस्था के बाद जनप्रतिनिधियों द्वारा अनियमितता, भ्रष्टाचार, पैसों का खेल होने का यह कोई नया मामला नही है. जरूरत है स्थानीय स्तर के संबंधित अधिकारी द्वारा योजना का लगातार स्थल निरीक्षण कर वस्तुस्थिति की जानकारी लगातार लेते रहने का और उस योजना के गुणवत्तापूर्ण पर स्थानीय लोगो से राय विचार करने का.अब इस गांव के लोग सजग हुए हैं तो इस तरह की बात सामने आई है. अगर सही से पूरे जिले की जांच की जाए और स्थानीय लोगो से राय विचार कर रिपोर्ट बनाई जाए तो कई चौंकाने वाले विषय सामने आ सकता है और शायद कई जनप्रतिनिधि हवालात के हवा भी खा सकते हैं. अब देखना होगा कि उपायुक्त को नवादा गांव के ग्रामीणों द्वारा दी गयी आवेदन का क्या होता है.
रिपोर्ट: रितुराज सिन्हा
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