धनबाद(DHANBAD): यह बात बिल्कुल सच है कि झारखंड की राजनीति में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन का आना कोई योजना नहीं थी. परिस्थितियों ने उन्हें राजनीति में आने को मजबूर किया. उसके बाद तो वह राजनीति की हर दाव -पेंच को समझने में माहिर होती दिख रही है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार शनिवार को जब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से पत्नी कल्पना सोरेन के राजनीति में आने पर सवाल हुआ तो हेमंत सोरेन ने कहा कि उन्हें मैं नहीं लाया है. राज्य की जनता ने राजनीति में जन्म दिया है और जनता ही उनका भविष्य तय करेगी. यह बात तो सच है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद पार्टी को एकजुट रखना, सजाने संवारने का जिम्मा कल्पना सोरेन के पास आ गया. उस वक्त हाल ही में भाजपा में शामिल हुए चाचा चंपाई सोरेन झारखंड के मुख्यमंत्री थे. लेकिन पार्टी को एकजुट रखना बड़ी चुनौती थी. तरह-तरह की बातें कहीं जाने लगी थी. यह अलग बात है कि जेल जाने के पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जरूर चाहते थे की राज्य की बागडोर कल्पना सोरेन के हाथ में दे दी जाए.
केवल कुछ महीने में ही झामुमो की स्टार प्रचारक बन गई कल्पना सोरेन
इसके लिए गांडेय के पूर्व विधायक डॉक्टर सरफराज अहमद को इस्तीफा दिलवाया गया. गांडेय विधानसभा का उपचुनाव कल्पना सोरेन लड़ी जरूर, जीती भी लेकिन राजनीति में वह लगातार आगे बढ़ती चली जा रही है. विधानसभा के चुनाव में वह झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्टार प्रचारक बन गई है. उनका डिमांड हर विधानसभा क्षेत्र से आ रहा है. वह खुद फिर गांडेय विधानसभा सीट से चुनाव भी लड़ रही है. सिर्फ झामुमो के उम्मीदवार ही नहीं बल्कि कांग्रेस के उम्मीदवार भी यह चाहते हैं कि उनके विधानसभा क्षेत्र में कल्पना सोरेन की सभा हो. यह बात भी सच है कि कल्पना सोरेन के रूप में झारखंड मुक्ति मोर्चा के हाथ में एक मजबूत प्रचारक,संगठन कर्ता लग गया है. कल्पना सोरेन की बातों से पब्लिक सीधे कनेक्ट हो रही है. वह सवाल भी उसी तरह की कर रही है, जो पब्लिक करना चाहती है. नतीजा है कि उनका डिमांड लगातार पॉलिटिकल क्षेत्र में बढ़ता जा रहा है.
झारखंड झुकेगा नहीं, इंडिया रुकेगा नहीं के नारे से चर्चा में आई कल्पना सोरेन
झारखंड झुकेगा नहीं, इंडिया रुकेगा नहीं. यह नारा देकर कल्पना सोरेन चर्चा में आई थी. राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के समापन पर कल्पना सोरेन ने मुंबई में इस नारे की जोरदार ढंग से वकालत की थी. पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद और लोकसभा चुनाव के बीच कल्पना सोरेन की झारखंड की राजनीति में एंट्री हुई. . इस एंट्री को लेकर कई तरह के कयास लगाए जाते रहे. झारखंड की राजनीति में कल्पना सोरेन परिस्थिति बस ही आई जरूर , लेकिन राजनीति में आते ही उन्होंने लोगों का भरोसा जितने में बहुत वक्त नहीं लिया. यह अलग बात है कि हेमंत सोरेन को पहले से ही लग रहा था कि उन्हें जेल जाना पड़ सकता है. इसलिए 31 दिसंबर 2023 को गिरिडीह के गांडेय विधानसभा से विधायक डॉक्टर सरफराज अहमद को इस्तीफा दिलवाया गया. यह इस्तीफा उन्हें इस शर्त पर शायद दिलाया गया कि उन्हें राज्यसभा भेज दिया जाएगा और राज्यसभा भेजा भी गया.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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