हजारीबाग - हजारीबाग में भाजपा के स्थिति थोड़ी चिंता जनक है. यहां पिछले दो सप्ताह में दो दर्जन से अधिक नेता पार्टी छोड़ चुके हैं. यहां से मनीष जायसवाल भाजपा के प्रत्याशी हैं. हजारीबाग के कद्दावर नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा के पोते ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया है. निवर्तमान सांसद जयंत सिन्हा के सुपुत्र ने हाथ थामा है. भाजपा के अंदर इसको लेकर बेचैनी देखी जा रही है.
जानिए पूरा मामला क्या है
अचानक 2014 में यशवंत सिन्हा की जगह उनके सुपुत्र जयंत सिन्हा को भाजपा ने हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया था.उसे समय जयंत सिन्हा को अधिकांश लोग नहीं जानते थे.कहा जाता है कि जयंत सिन्हा मोदी की टीम के सदस्य रह चुके थे.जयंत सिन्हा भारी मतों से हजारीबाग सीट से जीते. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वित्त राज्य मंत्री बनाया.काफी अच्छा काम कर रहे थे. प्रधानमंत्री जन धन योजना समेत कई योजनाओं को क्रियान्वित किया. 2019 में भी हजारीबाग से भाजपा ने उन्हें प्रत्याशी बनाया.जीत भी गए. लेकिन उन्हें मोदी मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली.
2024 में भाजपा ने जयंत सिन्हा का टिकट काट दिया
2024 में तो भाजपा ने जयंत सिन्हा का टिकट निकाल दिया. पूर्व केंद्रीय मंत्री और जयंत सिन्हा के पिता यशवंत सिन्हा तो जयंत सिन्हा के मोदी मंत्रिमंडल में सदस्य रहते ऐसे बयान दिए थे जिससे भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व का खफा था. हजारीबाग लोक सभा सीट पर यशवंत सिन्हा बेटा जयंत सिन्हा का टिकट कटने के बाद खुलकर इंडी एलायंस के पक्ष में उतर गए. सोमवार को एक और नया डेवलपमेंट हो गया. जयंत सिन्हा के सुपुत्र आसिर सिन्हा कांग्रेस का दामन थाम लिया है.हजारीबाग के बरही में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ साझा कर उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि सिन्हा परिवार हाथ के साथ है. आसिर सिन्हा पिछले रामनवमी त्योहार के दौरान पहली बार सार्वजनिक रूप से सामने आए थे. यशवंत सिन्हा बीजेपी के कट्टर दुश्मन बन गए हैं.जयंत सिन्हा भाजपा से बेहद नाराज हैं.जयंत सिन्हा के सुपुत्र आसिर सिन्हा कांग्रेस के साथ हो गए हैं. इससे हजारीबाग में भाजपा की संगठनात्मक स्थिति पर असर पड़ सकता है.
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