मुंडा-मरांडी की भाजपा में भरमार, बावजूद इसके किसी में आदिवासी-मूलवासियों की आवाज उठाने की ताकत नहीं- सीएम हेमंत

.2000 में हमें अलग राज्य मिल गया लेकिन 2019 तक राज्य के आदिवासी आंदोलन करते रहे. हर दिन CNT SPT और अन्य मामलों को लेकर सड़क पर दिख रहे थे.विभिन्न माध्यमों से आदिवासियों पर प्रहार करने का काम किया है. आदिवासी को तो लोग आदिवासी मानते ही नहीं है हमें वनवासी बोलते है.

मुंडा-मरांडी की भाजपा में भरमार, बावजूद इसके किसी में आदिवासी-मूलवासियों की आवाज उठाने की ताकत नहीं- सीएम हेमंत