धनबाद में रजिस्टर्ड हैं केवल सात एम्बुलेंस लेकिन चलते हैं हज़ारो


धनबाद(DHANBAD) : अगर आप धनबाद की सड़कों पर चार-पांच मिनट खड़े रहे तो एंबुलेंस की सायरन जरूर सुनने को मिल जाएगी. मतलब साफ है कि धनबाद की सड़कों पर सैकड़ों नहीं, हजारों की संख्या में एंबुलेंस दौड़ रही हैं. लेकिन अगर डीटीओ ऑफिस की डाटा की बात की जाए तो 7 से अधिक एंबुलेंस धनबाद में रजिस्टर्ड नहीं है. ऐसे में एंबुलेंस का सायरन बजाते हुए कौन से वाहन चल रहे हैं, क्यों चल रहे हैं, इसकी कोई जांच-पड़ताल नहीं होती.
कतारों में खड़े मिलेंगे एंबुलेंस
सरकारी अस्पताल या निजी अस्पतालों के बाहर आप जब भी जाएंगे, कतार में आपको एंबुलेंस खड़ी मिलेगी. एंबुलेंस चलाने वालों की अपनी यूनियन भी है और संगठन भी मजबूत है. लेकिन कायदे-कानून को पालन करना इन्हें मंजूर नहीं है. एंबुलेंस की दर की बात की जाए तो कोई दर निर्धारित नहीं है. मुखे कानून वाली बात है, जिसके मुंह से जितना निकल गया, वही भाड़ा समझिए,
टैक्स बचाने के लिए नही कराया जाता है रजिस्ट्रेशन
बता दें कि टैक्स बचाने के लिए एंबुलेंस का रजिस्ट्रेशन नहीं कराया जाता है. जानकारी के अनुसार इसकी अलग से फीस होती है. तमाम जांच के बाद परिवहन कार्यालय से एम्बुलेंस के लिए एनओसी मिलता है. जबकि वास्तविकता यह है कि जिले में 90% निजी एंबुलेंस कमर्शियल वाहन के नाम से रजिस्टर्ड है. मानक के अनुसार एंबुलेंस के रूप में चलने वाले वाहनों को एआईएस 125 का अनुपालन करना जरूरी है. इसकी जांच का जिम्मा परिवहन विभाग को है. इसके अलावा एंबुलेंस को टैक्स में भी छूट दी जाती है. लेकिन हर तीन महीना पर टैक्स जमा करना पड़ता है. इधर, वाहनों पर एंबुलेंस लिखकर भी मरीजों को ले जाया जाता है. मगर, इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं होती. डीटीओ राजेश सिंह की मानें तो धनबाद में केवल सात ही नहीं और भी रजिस्टर्ड एम्बुलेंस है. नियम विरुद्ध चलने वाली एंबुलेंस के ऊपर विभाग कार्रवाई करेगा.
रिपोर्ट : शाम्भवी के साथ प्रकाश, धनबाद
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