धनबाद(DHANBAD): झारखंड में प्रथम चरण के चुनाव ने इस जगह पर लाकर सभी राजनीतिक दलों को खड़ा कर दिया है कि सभी खुश है. एनडीए को भी लग रहा है कि वह अधिक से अधिक सीट जीतेगा, जबकि इंडिया ब्लॉक भी खुश है कि वह 2019 के रिकॉर्ड को छू कर रहेगा. पहले चरण में राज्य के चार प्रमंडलों दक्षिण छोटा नागपुर, उत्तरी छोटा नागपुर, कोल्हान और पलामू के 43 विधानसभा सीटों पर मतदान हुआ है. पलामू और कोल्हान में तो वोटिंग खत्म हो गई है. दक्षिणी छोटा नागपुर प्रमंडल की दो और उत्तरी छोटा नागपुर प्रमंडल की 18 सहित संथाल परगना की 18 सीटों पर दूसरे चरण में मतदान है. 13 नवंबर को जहां वोटिंग हुई, वहां देखा जाए तो इस बार भी कोल्हान आगे रहा. वहां वोटिंग परसेंटेज लगभग 70% तक पंहुचा. दक्षिण छोटा नागपुर में 68, पलामू प्रमंडल में 66 और उत्तरी छोटा नागपुर में 64 प्रतिशत के आसपास मतदान हुआ. कोल्हान इस बार सबसे महत्वपूर्ण भूमिका इसलिए भी निभाएगा, कि कई पूर्व मुख्यमंत्री की साख यहां दांव पर है.
कोल्हान की 14 विधानसभा सीटों का पढ़िए डिटेल्स
कोल्हान की 14 विधानसभा सीटों की बात की जाए, तो उनमें बहरागोड़ा, घाटशिला, पोटका , जुगसलाई, जमशेदपुर पूर्वी, जमशेदपुर पश्चिमी, इचागढ़, सरायकेला, चाईबासा, मझ गांव, जगन्नाथपुर, मनोहरपुर, चक्रधरपुर और खरसावां शामिल है. पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन सरायकेला से चुनाव लड़ रहे है. मंत्री रामदास सोरेन घाटशिला तो जमशेदपुर पूर्वी सीट से पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की बहू पूर्णिमा दास, जमशेदपुर पश्चिम सीट से पूर्व मंत्री सरयू राय और फिलहाल झारखंड सरकार के मंत्री बन्ना गुप्ता चुनाव मैदान में है. लोगों की सबसे अधिक नजर कोल्हान पर है. पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा खुद चुनाव नहीं लड़े, लेकिन उनकी पत्नी मीरा मुंडा पोटका विधानसभा से चुनाव मैदान में थी. वहां भी वोटिंग खत्म हो गई है. पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन खुद तो सरायकेला से चुनाव लड़ रहे है. बेटे रामदास सोरेन को विजई बनाना उनके लिए चुनौती थी. कोल्हान का वोटिंग परसेंटेज अधिक हुआ है.
कोल्हान आखिर किस तरफ झुका
अगर झारखंड मुक्ति मोर्चा अपने सीटों को बरकरार रखा तो इंडिया ब्लॉक को परेशानी हो सकती है और एनडीए की सीट बढ़ी तो झामुमो को संकट पैदा हो सकता है. 2019 के चुनाव में एनडीए को कोल्हान से एक भी सीट नहीं मिली थी. कोल्हान ही एक ऐसा प्रमंडल था, जिसके चुनाव परिणाम ने झारखंड की राजनीति की दिशा और दशा बदल दी थी. भाजपा सरकार आउट हो गई थी और गठबंधन की सरकार बनी थी. कोल्हान के वोटिंग परसेंटेज को लेकर राजनीतिक पंडित अपने-अपने ढंग से गुणा -भाग कर रहे है. कोल्हान में झारखंड मुक्ति मोर्चा की प्रतिष्ठा दांव पर है तो एनडीए गठबंधन की भी इज्जत का सवाल है. सवाल चंपाई सोरेन के राजनीतिक भविष्य का भी है. देखना दिलचस्प होगा कि कोल्हान किसके पक्ष में मतदान किया है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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