टीएनपी डेस्क(Tnp desk):-झारखंड में प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक और नकल के कई मामले सामने आए हैं. इससे पढ़ने और मेहनत करने वाले छात्रों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था. इसके साथ ही इससे जुड़े सभी लोग प्रभावित होते थे. लेकिन, अब परीक्षा के पेपर लीक करने वाले सावधान हो जाए, क्योंकि अब सख्त कानून बनने का रास्ता साफ हो गया है. राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने विधानसभा से बीते अगस्त महीने में पारित विधेयक को मंजूरी दे दी है. राज्य सरकार की तरफ से अधिसूचना जारी होते ही यह कानून का रूप ले लेगा.
आजीवन करावास और 10 करोड़ जुर्माना
इस कानून के आकार लेने के बाद, पेपर लीक करने वाले शख्स की तो काफी मुसिबतों का सामना करना पडेगा. इस हरकत को अंजाम देने पर कम से कम 10 साल और अधिकतम आजीवन कारावास की सजा से लेकर 10 करोड़ रुपए तक का जुर्माना लगाने जैसे सख्त प्रावधान हैं. इतना ही नहीं जो परीक्षार्थी परीक्षा के दौरान नकल करते पकड़ाये जाते हैं. उनकी भी अब खैर नहीं है. अगर कोई अभ्यार्थी पहली बार नकल करते हुए पकड़े जाते हैं, तो एक साल की जेल और पांच साल का जुर्माना लगेगा. दूसरी बार ऐसा करने पर पकड़े जाने पर तीन साल की जेल और दस लाख रुपए का जुर्माना लगेगा. इसके साथ ही कोर्ट के द्वारा मिली सजा के बाद अभ्यर्थी दस साल तक किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में शामिल नहीं हो पायेंगे. कानून इतना सख्त है कि पेपर लीक और नकल से जुड़े मामलों में बगैर प्रारंभिक जांच के एफआईआर और गिरफ्तारी का भी प्रावधान किया गया है. यह कानून राज्य लोक सेवा आयोग, राज्य कर्मचारी चयन आयोग, भर्ती एजेंसियों, निगमों और निकायों की तरफ से आयोजित होने वाली परीक्षाओं में लागू होगा. इस कानून का नाम झारखंड प्रतियोगी परीक्षा अधिनियम 2023 होगा.
पेपर लीक से जुड़े लोग भी नपेंगे
पेपर लीक से जुड़े अप्रत्य़क्ष लोग भी इससे जुड़ेंगे. इसमें परीक्षाओं के संचालन से जुड़े व्यक्ति, एजेंसियां, प्रिंटिंग प्रेस औऱ षड्यंत्र में शामिल लोग भी दायरे में आएंगे. अगर कोई प्रिंटिंग प्रेस, परीक्षा आयोजित करने वाला मैनेजमेट, परिवहन से जुड़ा शख्स या कोई कोचिंग संस्थान साजिशकर्ता के किरदार में होगा. साबित होने पर 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है. इसमे 2 करोड़ से 10 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाने का भी प्रावधान है. जुर्माना न देने पर तीन साल की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी.
ध्यान रहे कि इस विधेयक को लेकर विधानसभा में काफी हंगामा हुआ था. विपक्ष के विधायकों ने बवाल करते हुए इसकी प्रतियां फाड़ दी थीं . इसे काला कानून भाजपा ने करार दिया था. काफी हो हंगामे और विपक्ष के विधायकों के विरोध के बीच ये विधेयक पारित किया गया था.
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