रांची(RANCHI): कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने झारखंड में जिला अध्यक्षों की सूची प्रदेश कमिटी को भेज दी है. प्रदेश कमिटी को तत्काल प्रभाव से पालन करने का निर्देश दिया गया है. राष्ट्रीय सचिव के सी वेणुगोपाल ने प्रदेश कमिटी द्वारा दिये गए जिला अध्यक्ष के प्रस्ताव को पास कर वापस प्रदेश कमिटी को भेजा है. मगर, इसमें सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि कांग्रेस के जिला अध्यक्षों की इस सूची में एक भी अल्पसंख्यक चेहरा नहीं है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि अब अल्पसंख्यक कहां जाएंगे? क्योंकि कांग्रेस के लिए अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को एक बड़ा वोट बैंक माना जाता है. मगर, कांग्रेस के इस फैसले के बाद अब अल्पसंख्यक दुविधा में हैं कि वे क्या करें? किस ओर जाए? अल्पसंख्यक के लिए चुनना मुश्किल है, क्योंकि बीजेपी के हिन्दुत्व वोट बैंक के साथ वो जाएंगे नहीं, ऐसे में क्या अल्पसंख्यक झामुमो का दामन थामेंगे?
क्या अल्पसंख्यक थामेंगे झामुमो का दामन?
झारखंड में जिला अध्यक्षों की इस लिस्ट में किसी अल्पसंख्यक को जगह ना मिलना और आदिवासी चेहरों के प्रति भी उदासीनता इस बात की ओर भी इशारा कर रही है कि कहीं कांग्रेस ने अपने पैरों पर कुल्हाड़ी तो नहीं मार ली और अगर ऐसा है तो इसका फायदा सरकार में कांग्रेस की सहयोगी पार्टी झामुमो को मिल सकता है. ये भी हो सकता है कि कांग्रेस जान-बूझकर झामुमो को फायदा पहुंचाना छाती हो. मगर, इससे अल्पसंख्यक वोटर दुविधा में जरूर पड़ गए हैं. उनके पास कांग्रेस के अलावा अब राज्य में सिर्फ झामुमो ही विकल्प बचा है. ऐसे में अल्पसंख्यक वोटर झामुमो की ओर रुख कर सकते हैं. झामुमो और कांग्रेस झारखंड में गठबंधन की सरकार चला रही है. दोनों ही पार्टियां आगे भी साथ रहना चाहती है और बीजेपी के खिलाफ अगले चुनाव के लिए अपने जनाधार को और मजबूत करना चाहती है. झामुमो एक आदिवासी लोगों की पार्टी है, समय-समय पर सीएम हेमंत सोरेन इस बात पर जोर भी देते हैं. इसके साथ ही झामुमो का रुझान अल्पसंख्यक वोटरों की तरफ भी बढ़ा है. ऐसे में इस रुझान से झामुमो को फायदा हो सकता है. ऐसे में कांग्रेस का साथ छोड़ कर अल्पसंख्यक वोटर झामुमो की ओर रुख कर सकती है. झामुमो और कांग्रेस के बीच ये भी रणनीति हो सकती है कि झामुमो अल्पसंख्यक और आदिवासी वोट पर फोकस करे और कांग्रेस हिन्दू वोटरों पर फोकस करे. इससे दोनों ही पार्टियों को फायदा होगा और बीजेपी की वोटबैंक में सेंध लगाने की भी कोशिश होगी. मगर, ये रणनीति है भी तो इससे नुकसान कांग्रेस को ही होने वाला है.
कांग्रेस पर उठने लगे ये सवाल
कांग्रेस की इस लिस्ट के बाद और भी कई सवाल उठ रहे हैं कि क्या कांग्रेस झारखंड में बीजेपी की तरह हिंदुत्व पर फोकस करने वाली है. इस लिस्ट में एक और सवाल ये भी है कि ज्यादातर चेहरे सामान्य श्रेणी से आते हैं. झारखंड जैसे आदिवासी बहुल राज्य में कांग्रेस की इस लिस्ट में गिने चुने तीन से 4 ही आदिवासी चेहरे हैं. तो क्या अब कांग्रेस का झुकाव अब सिर्फ हिन्दुत्व की ओर झुक रहा है. क्योंकि हाल के दिनों में अगर राष्ट्रीय स्तर पर देखा जाए तो राहुल गांधी की कुछ ऐसी ही तस्वीरें सामने आती रहती हैं, जहां वे तिलक लगाते या पूजा-पाठ करते दिख जाते हैं. इसे कांग्रेस की राजनीति से लगातार जोड़ कर देखा जाता है. ऐसे में अल्पसंख्यक वोट बैंक को अपना आधार मानने वाली कांग्रेस पार्टी पर सवाल उठ रहे हैं.
बीजेपी के नक्शे कदम पर तो नहीं चलने लगी कांग्रेस
सवाल ये भी उठने लगे हैं कि कहीं कांग्रेस भी बीजेपी के नक्शे कदम पर तो नहीं चलने लगी. क्योंकि बीजेपी को एक हिन्दुत्व पार्टी का तमगा मिला हुआ है. बीजेपी में गिने चुने ही अपलसंख्यक चेहरे दिखाई देते हैं. बीजेपी की राजनीति भी हिन्दुत्व के इर्द-गिर्द ही घूमती हुई दिखाई देती है. उनका वोट बैंक भी यही हैं. अल्पसंख्यक वोट के लिए बीजेपी मेहनत भी ज्यादा नहीं करती, ऐसे में कांग्रेस की इस लिस्ट ने ये सवाल जरूर उठा दिया है कि कहीं बीजेपी के रास्ते तो कांग्रेस नहीं चलने लगी है.
जानिये कौन कहां बने जिला अध्यक्ष
शांतनु मिश्रा, रामगढ़
शैलेंद्र कुमार यादव, हजारीबाग
नारायण बर्णवाल, कोडरमा
धनंजय कुमार सिंह, गिरिडीह
दिनेश प्रसाद यादव, गोड्डा
उदय प्रकाश, देवघर
अनिल कुमार ओझा, साहेबगंज
कुमार सरकार, पाकुड़
महेश राम चंद्रवंशी, दुमका
हरि मोहन मिश्रा, जामताड़ा
संतोष कुमार सिंह, धनबाद
उमेश प्रसाद गुप्ता, बोकारो
कुमार राजा, रांची शहर
डॉ राकेश किरण महतो, रांची ग्रामीण
आनंद बिहारी दुबे, पूर्वी सिंहभूम(जमशेदपुर)
चंद्र शेखर दास, पश्चिमी सिंहभूम
बिशु हेम्ब्रम, सरायकेला खरसावां
रवि मिश्रा,खूंटी
डेविड तिर्की, सिमडेगा
चैन्तु उरांव,गुमला
सुखर भगत, लोहरदगा
मुनेश्वर उरांव, लातेहार
श्रीकांत तिवारी, गढ़वा
प्रमोद कुमार दुबे, चतरा
जैश रंजन पाठक,पलामू
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