भाजपा नहीं अब तीसरा मोर्चा करेगी हेमंत सोरेन से मुकाबला, सूर्य सिंह बेसरा का हेमंत पर तंज, सलाहकारों ने डूबाया टाइटैनिक जहाज

रांची(RANCHI): अब तक आदिवासी-मूलवासियों और झारखंडियों के हक-हकूक की वकालत करते रहे सूर्य सिंह बेसरा ने अब तीसरा मोर्चा का गठन कर उनकी हकों की हिफाजत में उतरने का फैसला किया है. भाजपा झामुमो को एक ही थैले की चट्टे-बट्टे बताते हुए सूर्य सिंह बेसरा ने कहा कि इन दोनों का कोई ईमान नहीं है. दोनों की नीतियां झारखंड के लिए घातक है. उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश है कि जयराम महतो और दूसरे युवाओं को एकजुट कर इस तीसरे मोर्चे का हिस्सा बनाया जाय, ताकि यहां से जल जंगल और जमीन हिफाजत की जा सके, झारखंडी युवाओं में पनप रहे आक्रोश को सही दिशा दिया जा सके.
1932 का खतियान का खतियान पूरे झारखंड की पहचान नहींं
नियोजन नीति, 1932 का खतियान और स्थानीय भाषा में संस्कृत- हिन्दी करने का विरोध करते हुए सूर्य सिंह बेसरा ने कहा है कि 1932 का खतियान सारे झारखंडियों की पहचान नहीं हो सकती, हर जिले का अंतिम सर्वे को स्थानीयता का आधार बनाना होगा, जबकि भाषा के सवाल के सूर्य सिंह बेसरा का मानना था कि हेमंत सोरेन को यह बताना चाहिए कि झारखंड के किस हिस्से में संस्कृत बोली जाती है, इस किस आधार पर स्थानीय भाषा की श्रेणी में शामिल किया गया और किस आधार पर 40 फीसदी नौकरियों को गैर झारखंडियों को देने की तैयारी की जा रही है.
30 जून को होगी घोषणा
सूर्य सिहं बेसरा ने कहा कि इसके साथ ही पेसा कानून का भी मामला फंसा हुआ है, जबकि पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में पेसा कानून को लेकर नियमों का निर्माण किया जा चुका है.उन्होंने कहा कि तीसरा मोर्चा झारखंड की युवाओं की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करेगा, हम झारखंड की उन सभी समस्यायों का समाधान करेंगे जो अब तक अधूरा पड़ा है. उन्होंने दावा किया कि 30 जून को वे तीसरे मोर्चे की विस्तृत रुप रेखा के साथ सामने आयेंगे.
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