धनबाद(DHANBAD) | धनबाद शराब गटकने में भी उस्ताद है. नया साल, होली में तो खूब खपत होती है. फिलवक्त आने वाला है नया साल. इस मौके पर शराब की खूब खपत होगी. शौकीन शराब से अपना कंठ तर करेंगे. सामान्य दिनों से डिमांड अधिक होगी. इसको लेकर अवैध शराब के कारोबारी भी सक्रिय हो गए हैं, तो उत्पाद विभाग भी सक्रिय दिख रहा है. मंगलवार को धनबाद शहर के हीरापुर प्रेम नगर, माडा कॉलोनी के एक आवास में उत्पाद विभाग ने छापेमारी कर शराब बनाने की मिनी फैक्ट्री का खुलासा किया है. इस फैक्ट्री में प्राय सभी ब्रांड की कीमती शराब की पैकिंग की जाती थी. घर से उत्पाद विभाग ने बोतल, ढक्कन, स्प्रिट और तैयार शराब जब्त किया है.
आवासीय कॉलोनी में भी फैक्ट्री
यह शराब गुणवत्ता के मामले में कितनी सही थी, इसका पता तो जांच के बाद ही चलेगा, लेकिन धनबाद जिले के शहरी इलाके हो या सुदूर इलाके, जब-जब उत्पाद विभाग सक्रिय होता है, शराब पकड़ी जाती है. धनबाद की अवैध शराब फैक्ट्रीयों में बनी शराब की खेप बिहार तक जाती है. बिहार में अभी शराबबंदी है. वैसे कहा जाए तो शराब राज्य सरकारों की आमदनी का एक बड़ा जरिया है. झारखंड को प्रति वर्ष एक आंकड़े के मुताबिक ₹2360 करोड़ रुपए शराब से मिलते है. सूत्र बताते हैं कि सरकार सब कुछ बर्दाश्त कर सकती है लेकिन शराब की बिक्री अगर रुक गई तो इसका सीधा असर अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है. मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों की टैक्स आमदनी में शराब की हिस्सेदारी 15 से 22% है. आंकड़े तो यह भी बताते हैं कि उत्तर प्रदेश, पंजाब और पश्चिम बंगाल की सरकार पेट्रोल व डीजल पर वैट से ज्यादा कमाई शराब से कराती है.
धनबाद से संतोष की रिपोर्ट
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