धनबाद(DHANBAD): सेल की चासनाला कोलियरी प्रबंधन को भनक तक नहीं लगी और ठेका मजदूर जमीन से 800 फीट नीचे धरना की योजना पर काम करते रहे. अंततः यह बात तब सामने आई जब सोमवार की आधी रात को मजदूरों का दंगल काम करने के लिए खदान के भीतर उतरा और धरने पर बैठ गया. सोमवार की रात 12 बजे 108 ठेका मजदूर ड्यूटी के लिए भूमिगत खदान में उतरे थे. इन्हें मंगलवार की सुबह सरफेस पर आना था. लेकिन ड्यूटी खत्म कर सभी खदान में धरना पर बैठ गए.
जमीन से 800 फीट नीचे 12 सूत्री मांगों के समर्थन में आंदोलन
मंगलवार की सुबह 10 बजे तक जब मजदूर ऊपर नहीं आए तो प्रबंधन के लोग खदान में गए. मजदूर धरना पर बैठे हुए थे. इसकी सूचना तत्काल वरीय अधिकारियों को दी गई .उसके बाद तो अधिकारियों के हाथ-पांव फूलने लगे. धरना के समर्थन में मंगलवार को प्रथम पाली में ठेका मजदूर भी काम पर नहीं गए. इसे खदान में उत्पादन पूरी तरह से ठप हो गया . हालांकि प्रथम पाली के कुछ मजदूर आंदोलनकारी मजदूरों के लिए नाश्ता और भोजन का पैकेट लेकर खदान के भीतर गए. प्रबंधन ने भी मजदूरों के लिए नाश्ता, खाना भिजवाया .लेकिन मजदूर अपनी मांगों को लिए बिना टस से मस नहीं हो रहे हैं. जमीन से 800 फीट नीचे यह मजदूर 12 सूत्री मांगों के समर्थन में आंदोलन कर रहे हैं .
ये है मजदूरों की मांग
चास नाला कोल माइंस में अलग-अलग ठेकेदार के अधीन कुल 550 ठेका कर्मी काम करते हैं. यह मजदूर पिछले काफी समय से 26 दिन काम देने, मेडिकल कार्ड उपलब्ध कराने, काम के अनुसार पदोन्नति देने ,काटी गई राशि का हिसाब देने, बकाया एरियर राशि का भुगतान करने और रविवार को ड्यूटी करने पर डबल हाजिरी देने की मांग कर रहे हैं .यह सब आंदोलन बिहार कोलियरी कामगार यूनियन के बैनर तले किया जा रहा है. मजदूरों का कहना है कि दो दौर की वार्ता विफल हो चुकी है. उनके सामने अब आंदोलन के सिवा कोई रास्ता नहीं बचा है.
अधिकारियों के फूल रहे हाथ पांव
प्रबंधन का कहना है कि मजदूरों की मांगों के संबंध में वरीय अधिकारियों से बात करने के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा. धरना की सूचना जिला प्रशासन को दे दी गई है. लेकिन 800 फीट नीचे धरना से प्रबंधन के अधिकारियों के हाथ पांव फूल रहे हैं .वह चाहते हैं कि किसी तरह से आंदोलन समाप्त हो लेकिन मजदूर अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं. इधर आंदोलनरत मजदूरों के समर्थन में सरफेस पर धरना प्रदर्शन और नारेबाजी हो रही है .प्रबंधन चाह रहा है कि किसी तरह से मजदूर खदान के भीतर से सरफेस पर आ जाएं. लेकिन मजदूर भी यह समझ रहे हैं कि उनके आंदोलन का तभी कुछ फलाफल निकलेगा, जब तक वह खदान के भीतर हैं. मजदूरों की सुरक्षा को लेकर प्रबंधन की चिंताएं बढ़ गई है. देखना है कोयलांचल में इस नए ट्रेंड के आंदोलन का क्या असर होता है.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो
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