धनबाद(DHANBAD): झरिया की बूढ़ी हड्डियां भूमिगत आग की वजह से जमीन के भीतर लोगों को लील रही है, तो ऊपर अपराधी बेखौफ गुंडई कर लोगों की जानें ले रहे हैं .झरिया की राजनीति कर कई बाहुबली बने, कई सांसद और विधायक बने लेकिन आज झरिया को देखने वाला कोई नहीं है.
जनवरी में हुई धनंजय यादव की हत्या से पुलिस ने नहीं लिया सबक
आपको बताएं कि यह भूमिगत आग विकराल रूप ले चुकी है, तो जमीन के ऊपर अपराधियों का तांडव बेखौफ चल रहा है.धनबाद की झरिया में सोमवार को आधी रात के बाद गुंडई का जो नंगा नाच हुआ, उस मामले में पुलिस घटनास्थल से जिंदा बम, खोखा और मृतक की बहन की शिकायत पर प्राथमिक दर्ज हुई है. इससे आगे कुछ भी नहीं हुआ है.
पुलिस की लापरवाह रवैया की वजह से झरिया की सड़क लाल हो रही हैं
वही आपको बताएं कि पुलिस के इस रवैया की वजह से गुंडई करने वालों का मन बढ़ेगा. हमलावरों को तो जमीन नहीं निगल गई होगी. वह तो कहीं सुरक्षित स्थान पर ही होंगे. फिर पुलिस अगर चाहे तो अपने मुखवीरों के जरिए पता लगा सकती है. यह मामला इसलिए भी गंभीर है कि जिस तरह से घटना को अंजाम दिया गया है. वह दबंगई की पराकाष्ठा थी. हत्यारों ने धनंजय यादव की हत्या निर्मम तरीके से की थी. पत्नी और बच्ची की हत्या की धमकी देकर हत्यारों ने उसे आत्मसमर्पण के लिए बाध्य कर दिया.
धनंजय यादव को गुंडो ने पत्नी और बच्ची के सामने ही गोली से भून दिया था
वही धनंजय यादव अपनी बच्ची और पत्नी की जीवन की भीख मांगता रहा. हत्यारों ने दोनों को जीवनदान तो दे दिया, लेकिन उन लोगों के सामने ही धनंजय यादव पर भुजाली और चाकू से वार करते रहे. लहूलुहान होकर वह जीवन की भीख मांगता रहा. बावजूद हत्यारों को तनिक दया नहीं आई और अंत में उसे गोली मार दी. इसके पहले दरवाजा नहीं खुला तो बम फोड़ कर अपराधियों ने दरवाजा तोड़ डाले थे. इस घटना ने सबको डरा दिया है. यह बात अलग है कि धनंजय यादव की बहन के बयान पर रामबाबू धिक्कार सहित 7 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. लेकिन अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है.
धनंजय हत्याकांड में अब तक कुछ भी कार्रवाई नहीं हुई है
एक तरफ जहां धनंजय यादव सिंह मेंशन का समर्थक था तो वही रामबाबू धिक्कार रघुकुल समर्थक बताया जाता है. वह जिस स्कॉर्पियो का उपयोग करता है, उसकी भी खूब चर्चा है. धनंजय यादव और रामबाबू धिक्कार के बीच पिछले 7 साल से अदावत चल रही थी. 2017 में धनंजय यादव के घर के बाहर बम फेंका गया था. उस समय पुलिस ने रामबाबू धिक्कार सहित कई लोगों को जेल भेजा था.
18 जनवरी को हुआ था खूनी संघर्ष
18 जनवरी 2023 को झरिया कतरास मोड़ स्थित गुलगुलिया पट्टी में खूनी संघर्ष हुआ था. दोनों ओर से तलवार और बम चले थे. निरंजन तांती की तलवार से हत्या कर दी गई थी. दोनों ओर से कई लोग घायल हुए थे .पुलिस उस मामले में रामबाबू धिक्कार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की होती तो कम से कम सोमवार की आधी रात के बाद झरिया की सड़कें गुंडई की गवाह नहीं बनती . धनंजय यादव की जान भी नहीं जाती.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो
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