धनबाद(DHANBAD): हाथी अब साथी नहीं ,बल्कि जान के दुश्मन बन गए है. इन हाथियों से अब गांव वालों को सरकारी अलार्म सचेत करेगा. हाथी जैसे ही पहाड़ी से उतर कर आवासीय इलाकों में पहुंचने का प्रयास करेंगे, यह अलार्म बजने लगेगा और गांव वाले सचेत हो जाएंगे. धनबाद वन विभाग ने हाथियों से जान- माल के नुकसान से बचाव के लिए टुंडी और पूर्वी टुंडी के 5 गांव में अलार्म लगाया है. इस अलार्म में एक विशेष प्रकार का मोशन सेंसर लगा हुआ है, जो 100 से लेकर 200 फीट तक काम करेगा. वन विभाग के सूत्रों के अनुसार यह अलार्म पायलट प्रोजेक्ट के तहत टुंडी और पूर्वी टुंडी के 5 गांव में लगाए गए है. अगर सफल रहे तो टुंडी, पूर्वी टुंडी और तोपचांची के 15 गांव में भी लगाए जाएंगे.
हाथियों के आने- जाने वाले इलाके में लगाए गए है अलार्म
यह अलार्म हाथियों के आने- जाने वाले इलाके में लगाए गए है. इसके लिए पहले हाथियों के रूट को चिन्हित किया गया और उसके बाद स्थापित किया गया है. वन विभाग को यह सूचना मिली है कि हाथियों का झुंड 2 महीनों से टुंडी के जंगल में है. इस झुंड में 20 से अधिक हाथी है. हालांकि हाथियों के प्यास बुझाने के लिए पहाड़ी पर चेक डैम बनाया गया है. मकसद यह है कि हाथियों को भोजन -पानी मिलता रहे. जिसे वह तराई इलाकों में नहीं आये. टुंडी के पहाड़ों से अक्सर हाथियों का झुंड भोजन की तलाश में टुंडी , पूर्वी टुंडी, तोपचांची के गांव में प्रवेश कर जाता है. जान माल को क्षति पहुंचाता है.
महुआ के दिनों में हाथियों का आतंक कुछ अधिक बढ़ जाता
महुआ के दिनों में हाथियों का आतंक कुछ अधिक बढ़ जाता है. महुआ के सुगंध पर हाथी घरों में तोड़फोड़ करते है. महुआ खाने के बाद मदमस्त हाथी बेकाबू भी हो जाते है. और लोगों की जान तक ले लेते है. देखना है सरकारी अलार्म लोगों को हाथियों से किस हद तक बचा पाता है. झारखंड के कई जिलों में हाथियों का आतंक कायम है. कोरिडोर बनाने की योजना तैयार हुई लेकिन जमीन पर नहीं उतरी. नतीजा है कि हाथियों का झुंड इधर-उधर पहुंचकर जानमाल का नुकसान कर रहा है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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