दुमका (DUMKA) : बाबा बासुकीनाथ के आदेश पर लोक संस्कृति का पर्व नवान्न 28 नवंबर को धूमधाम से मनाया जाएगा. वर्षों से चली आ रही इस परंपरा के अनुसार बासुकीनाथ धाम, जरमुंडी, जामा, हंसडीहा, रामगढ़, सरैयाहाट, दुमका, सहारा, तालझारी सहित आसपास के सैकड़ों गांव में नवान्न मनाने का निर्णय फौजदारी बाबा बासुकीनाथ पर फुलाइस करा कर लिया जाता है. 17 नवंबर की सुबह बासुकीनाथ मंदिर के सरकारी पुजारी और पंडा-पुरोहित समाज के सदस्य की उपस्थिति में गर्भगृह स्थित नागेश्वर जोतिर्लिंग पर चावल, कसेली, पान-पत्ता और बेलपत्र चढ़ाकर फुलाइस कराते हुए बाबा बासुकीनाथ के संकेत अनुसार 28 नवंबर को धूमधाम से नवान्न पर्व मनाया जाएगा.
कैसे मनाया जाता है नवान्न
बासुकीनाथ मंदिर के सरकारी पूजारी सदाशिव पंडा और डब्लू बाबा ने बताया कि नवान्न के दिन भोलेनाथ को नूतन फसल धान, चूड़ा, अरवा चावल, दही, हरी सब्जी, मटर, घंघरा, चना सहित अन्य फसल अर्पित करते हैं. वहीं श्रद्धालु भी अपने घरों में नवान्न के दिन अग्नि (अग्निहार) में हवन कर लेने के उपरांत नवान्न प्राशन को नवान्न भोग लगाकर नूतन फसल का प्रयोग प्रारंभ करते हैं. जैसा कि इसके नाम से से ही जान पड़ता है कि नवान्न, मतलब नव अन्न. मतलब नए अन्न का घर में आगमन. वैसे तो यह पर्व देश के कई हिस्सों में मनाया जाता है.
रिपोर्ट: सुतिब्रो गोस्वामी,जरमुंडी/दुमका
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