रांची(RANCHI): झारखंड में नई सरकार का गठन हो गया है. अब मंत्री मंडल को लेकर मंथन और चर्चा का दौर जारी है. कौन मंत्रिमंडल में शामिल होने वाला है और किसे ड्रॉप करने की योजना है. यह तस्वीर अगले एक से दो दिनों में साफ होगी. इससे पहले कुछ संभावित नाम पर चर्चा है, जिन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है. इस बार के भी मंत्री मंडल विस्तार में सभी जाति और क्षेत्र को ध्यान में रख कर आगे बढ़ने की योजना पार्टी की है. ऐसे में अब सभी की निगाह इस पर बनी है कि किसे जगह दी जाएगी और किसे बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा.
इसमें सबसे पहले पेंच यहां फंसा है कि एक समाज से एक को मंत्री बनाना है. ऐसे में कई रेस में है, लेकिन सभी के काम का लेखा जोखा के साथ-साथ उनके कार्यकाल को देखा जा रहा है. इसमें अल्पसंख्यक से देखें तो इरफान अंसारी और निशात आलम दोनों के मंत्रिमंडल में शामिल होने की चर्चा है. ऐसे में कांग्रेस यह मंथन करने में जुटी है कि किसे ड्रॉप किया जाए और किसे जगह दी जाए. अगर आलमगीर आलम के वजह से निशात आलम को जगह दी जाती है तो इरफान अंसारी का पत्ता कट सकता है.
देखें तो आलमगीर आलम एक कदद्वार नेता है. साथ ही जब बाहर थे तो हर बार सरकार में उन्हें पद मिला है. चाहे विधानसभा अध्यक्ष हो या मंत्री उन्हें हमेशा जगह दी गई है. साथ ही देखें तो हाफ़िजूल हसन और बेबी देवी को भी परिवार के वजह से मंत्रिमंडल में जगह मिली थी. हफ़िजूल हसन के पिता के निधन के बाद मंत्री बनाया गया, वहीं बेबी देवी को जगरनाथ महतो की जगह दी गई थी. ऐसे में अगर आलमगीर आलम के जेल में रहने के वजह से उनकी पत्नी निशात आलम को जगह दी जाती है तो इरफान अंसारी यहां ड्रॉप हो सकते है.
इसके बाद दुमका से बसंत सोरेन की भी चर्चा है. साथ ही डॉ लुईस मरांडी को लेकर भी मंथन किया जा रहा है. देखें तो पिछले चंपाई सोरेन सरकार में बसंत को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था. लेकिन जब वापस से हेमंत सोरेन सीएम बने तो उन्हें ड्रॉप किया गया. इसके पीछे का कारण साफ है कि परिवार के सदस्य को हेमंत मंत्रिमंडल में शामिल नहीं करेंगे. कुछ ऐसी तस्वीर देखने को मिल सकती है. हेमंत 2.0 में बसंत को जगह नहीं मिलेगी. लेकिन डॉ लुईस मरांडी के नाम की भी चर्चा है. देखे तो डॉ लुईस मरांडी के पास मंत्री का अनुभव भी है साथ कद्दावर नेता है. हालांकि हाल ही में भाजपा छोड़ झामुमो में शामिल हुई है. इसे लेकर ही पेंच फंसा हुआ है. अब बसंत या डॉ लुईस में से किसी एक को जगह दी जा सकती है.
साथ ही दीपिका पांडे सिंह का नाम भी मंत्री बनने की रेस में आगे है. ममता देवी और प्रदीप यादव के नाम पर भी मंथन चल रहा है. ऐसे में मंत्री मंडल में देखें तो दीपिका पांडे सिंह के पास अनुभव है. साथ ही कांग्रेस में एक कद्दावर नेत्री के तौर पर उनकी छवि है. यूथ कांग्रेस से लेकर मंत्री तक का लंबा सफर तय कर चुकी है. यही वजह है कि मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है. लेकिन अगर किसी कराण से ड्रॉप किया जाता है तो दीपिका के बदले ममता देवी या फिर प्रदीप यादव के नाम आगे आ सकते है. इससे साफ है कि किसी एक जो जगह मिलने वाली है. देखें तो प्रदीप यादव और ममता देवी ओबीसी जाति से आती है. इसे देखते हुए कांग्रेस आगे कर सकती है.
इसके अलावा अनूप सिंह के नाम पर भी चर्चा है. अनूप सिंह अगड़ी जाति से आते है. ऐसे में इन्हें बड़ी जिम्मेवारी दी जा सकती है. अनूप सिंह दूसरी बार विधायक बने है. इसके साथ ही अनुप सिंह यूथ कांग्रेस के लिए लंबे समय तक काम भी कर चुके हैं. वहीं दीपिका पांडे सिंह का भी नास सबसे आगे है. गौरतलब कि दीपिका पांडे सिंह का कांग्रेस के शीर्ष नेताओं से बेहतर संपर्क होने का फायदा भी उन्हें मिल सकता है.
इसके अलावा राजद का एक सदस्य मंत्रिमंडल में शामिल होगा. चर्चा है कि हुसैनाबाद से संजय कुमार सिंह यादव और गोड्डा से संजय प्रसाद यादव को मौका दिया जा सकता है. इन दोनों के नाम पर चर्चा चल रही है. इस पर अंतिम फैसला राजद सुप्रीमो लालू यादव को लेना है. देखा जाए तो सुरेश पासवान को विधायक दल का नेता चुन लिया गया है. अब चर्चा है कि हुसैनाबाद और गोड्डा विधायक दोनों मंत्री बनने का दम भर रहे है. ऐसे में दोनों की लड़ाई में सुरेश पासवान बाजी मार सकते है. सुरेश के पास मंत्री का अनुभव भी है साथ ही लालू परिवार के करीबी बताए जाते है. अगर सुरेश को जगह मिली तो संजय सिंह यादव और संजय प्रसाद यादव को ड्रॉप किया जाएगा.
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