धनबाद(DHANBAD) : झारखंड में निकाय चुनाव की तैयारी तेज है. अब चुनाव कराना सरकार की मजबूरी भी हो गई है. 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर झारखंड को मिलने वाली सहायता रोक दी गई है. राज्य फिलहाल 1600 करोड रुपए से वंचित हो गया है. राज्य सरकार ओबीसी आरक्षण के बिना निकायों का चुनाव कराने के पक्ष में नहीं है. लेकिन फिलहाल पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष विधायक का चुनाव जीतने के बाद मंत्री बन गए है. योगेंद्र प्रसाद पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष थे. अब यह पद रिक्त हो गया है. आयोग में सदस्यों की नियुक्ति भी नहीं की जा सकी है. इधर, राज्य के निकायों में ओबीसी का आरक्षण निर्धारित करने के लिए सर्वे का काम प्रारंभ कर दिया गया है.
राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के निर्देश पर गिनती की जानी है. आयोग ने सभी जिलों को सर्वे के लिए प्रपत्र उपलब्ध करा दिया है. प्रपत्र भरने के बाद ऐसे आयोग को दिया जाएगा. प्रपत्र में निकायों में मतदाता संख्या, मतदाता का नाम, पिता या पति का नाम, उम्र, लिंग, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति सामान्य, बीसी -1, बीसी-2 की पूरी जानकारी भरकर आयोग को देने का निर्देश दिया गया है. यह डाटा पहले बूथ स्तर पर, फिर वार्ड स्तर पर और उसके बाद निकाय के स्तर पर कुल आबादी के आधार पर तैयार किया जाएगा. धनबाद में भी निकाय का चुनाव पिछले 4 साल से भी अधिक समय से लंबित है. इस कारण धनबाद नगर निगम को भी केंद्र की राशि से वंचित होना पड़ा है.
धनबाद नगर निगम में कुल 52 वार्ड है. धनबाद नगर निगम का गठन 2006 में हुआ था. पहली बार 2010 में चुनाव हुआ था. जिसमें इंदु देवी मेयर चुनी गई थी. उस समय यह सीट महिला के लिए आरक्षित था. उसके बाद 2015 में चुनाव हुआ. जिसमें शेखर अग्रवाल मेयर चुने गए. उस समय यह सीट ओबीसी के लिए आरक्षित था. जून 2020 में कार्यकाल खत्म हो जाने के बाद अब तक चुनाव नहीं हुए है. चुनाव कराने को लेकर आंदोलन भी हुए. लेकिन सरकार चुनाव नहीं करा पाई. अब जब 15वें वित्त आयोग की राशि केंद्र ने रोक दी है, तो एक बार फिर चुनाव की सुगबुगाहट शुरू हुई है. अब झारखंड पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति भी करनी होगी. जो भी हो ,लेकिन 2024 के विधानसभा चुनाव में इंडिया ब्लॉक को मिले प्रचंड बहुमत के बाद उम्मीद की जा रही है कि सरकार निकायों का चुनाव जल्द कराने की कोशिश करेगी.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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