दुमका(DUMKA): दुमका के बासुकीनाथ धाम में विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला लगता है. इस मेला को राजकीय मेला का दर्जा प्राप्त है. जहां देश-विदेश से श्रद्धालु सावन के महीने में पहुंचकर फौजदारी बाबा पर जलार्पण करते हैं. राजकीय मेला होने के कारण राज्य सरकार और जिला प्रशासन का यह प्रयास रहता है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं को कोई परेशानी ना हो. मेला की तैयारी महीनों पूर्व शुरू हो जाती है. मेला से पूर्व जिला प्रशासन द्वारा होटल संचालक और दुकानदारों के साथ बैठक होती है. जिसमें कई निर्देश दिए जाते हैं. निर्देश के पीछे मकसद यह होता है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की परेशानी ना हो और सुखद अनुभूति लेकर श्रद्धालु वापस अपने घर लौटे. लेकिन जिला प्रशासन के कड़े निर्देश के बावजूद बासुकीनाथ के कुछ दुकानदार ऐसे हैं जो श्रद्धालुओं की आस्था के साथ लगातार खिलवाड़ कर रहे हैं. प्रशासनिक सख्ती के बावजूद वे सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं.
दुकानदार प्रसाद सामग्री में मिलावट करने से नहीं आ रहे बाज
दरअसल बासुकीनाथ धाम आने वाले श्रद्धालु प्रसाद स्वरूप है पेड़ा खरीद कर घर ले जाते हैं. प्रशासन द्वारा जब दुकानदारों के साथ बैठक होती है उस वक्त प्रसाद सामग्री की कीमत भी निर्धारित कर दी जाती है. दुकानों पर कीमत से संबंधित डिस्प्ले बोर्ड लगाने का निर्देश दिया जाता है. लेकिन ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में कुछ दुकानदार प्रसाद सामग्री में मिलावट करने से बाज नहीं आते. इस वर्ष दुमका जिला प्रशासन ऐसे दुकानदारों पर लगातार कार्यवाही कर रही है.
5000 किलोग्राम से ज्यादा नकली खोवा और पेड़ा किया गया जब्त
पिछले सप्ताह 200 किलोग्राम नकली खोवा से निर्मित पेड़ा को जब्त किया गया था. इसके बाबजूद दुमका एसडीओ कौशल कुमार को श्रद्धालुओं से शिकायत मिल रही थी की मिलावटी पेड़ा का कारोबार बासुकीनाथ धाम में फल फूल रहा है. शिकायत मिलने के बाद आज शुक्रवार को खाद्य सुरक्षा पदाधिकारी अमित कुमार के नेतृत्व में प्रशासनिक टीम द्वारा ताबड़तोड़ कार्यवाही की गई. 5000 किलोग्राम से ज्यादा नकली खोवा और उससे निर्मित पेड़ा को जब्त किया गया.
श्रद्धालुओं की आस्था के साथ खिलवाड़
यहां एक सवाल उठना लाजमी है कि कुछ दुकानदारों द्वारा श्रद्धालुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. उसका खामियाजा किसे भुगतना पड़ सकता है. श्रावणी मेला में यहां ना सिर्फ स्थानीय दुकानदार बल्कि झारखंड एवं बिहार के कोने कोने से दुकानदार पहुंचते हैं. कहा जाता है कि सावन महीने की कमाई से वर्ष भर दुकानदार अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. यह मेला हजारों लोगों के जीविकोपार्जन का आधार बन गया है. ऐसी स्थिति में अगर कुछ दुकानदार मिलावट से बाज नहीं आएंगे तो उसका खामियाजा तमाम दुकानदारों को भुगतना पड़ सकता है. जिस तरह ताबड़तोड़ प्रशासनिक कार्यवाही हो रही है उसे देखते हुए यहां आने वाले श्रद्धालु प्रसाद सामग्री सहित अन्य सामानों की खरीदारी करने से परहेज कर लेंगे. उस स्थिति में तमाम दुकानदारों का व्यवसाय प्रभावित होगा. इसलिए जरूरत है मिलावट करने वाले दुकानदार ईमानदारी पूर्वक अपना व्यवसाय करें ताकि तमाम दुकानदारों का जीविकोपार्जन सुचारू रूप से चलता रहे और यहां आने वाले श्रद्धालुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ भी ना हो. वैसे भी कहते हैं इंसान देखे या ना देखे ऊपर वाला सब देख रहा है.
रिपोर्ट: पंचम झा
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