गुमला (GUMLA) : जिला प्रशासन की एक छोटी पहल से मडुआ के सैकड़ों महिलाओं को रोजगार दिया गया है. विभिन्न उत्पादों की महिलाओं को ये रोजगार उपलब्ध कराई गई है. जिसे ना केवल राज्य स्तर पर सराहना मिल रही है बल्कि इसे राष्ट्रीय स्तर पर एक उदाहरण माना जा रहा है. जिला की 400 से अधिक महिलाओं को ना केवल पलायन और हड़िया दारू बेचने की जिल्लत भरी जिंदगी से राहत दी गई है बल्कि उनके लिए एक बेहतर जीवन जीने का विकल्प भी प्रदान किया गया है.
कैसे मिला रोजगार
जिला के उपायुक्त सुशांत गौरव जब ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा कर रहे थे तभी उन्होंने पाया कि ग्रामीण क्षेत्रो में बड़े पैमाने पर लोग मरुआ की उपज करते हैं लेकिन बाजार की सही व्यवस्था नहीं होने की वजह से उन्हें लाभ नहीं मिलता था. जिसके बाद उन्होंने झारखण्ड सरकार के जेएसएलपीएस के माध्यम से मरुआ का आटा और इसका लड्डू बनाने की कार्य को शुरू किया, जो आज कई महिलाओं के लिए रोजगार का बेहतर संसाधन बन गया है. इस प्रोसेसिंग यूनिट को देखने के बाद भारत सरकार के सचिव और जिला प्रभारी राहुल शर्मा ने इसकी जमकर प्रसंसा की.
मडुआ का बढ़ा महत्व
गुमला जिला मुख्यालय के बाजार समिति परिसर में बेकार पड़ी एक गोदाम को जिला प्रशासन ने ठीक ठाक करवाकर जहां उत्पादन शुरू कराया गया. आज यहां ना केवल मडुआ के आटा और लड्डू बल्कि कई समान बनाये जाते हैं. इस कार्य से जुड़ी एक महिला ने बताया कि पहले भी वे ये काम करती थी लेकिन बाजार सही नहीं होने की वजह से उन्हें इसका लाभ नहीं मिलता था. लेकिन अभी प्रशासनिक द्वारा लिए गए पहल से बेहतर तस्वीर बन पायी है. वहीं महिलाओं की माने तो अब उन्हें भी मडुआ का महत्व पता चल रहा है. इस उत्पादन से जुड़कर उनका जीवन सम्मानपूर्ण जीवन की ओर जा रहा है. उनका कहना है कि सरकार उनकी मदद करे तो वो अधिक से अधिक जमीन पर मरुआ की खेती करेंगी.
रिपोर्ट: सुशील कुमार सिंह, गुमला
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