देवघर(EOGHAR): झारखंड की सांस्कृतिक राजधानी देवघर है, जहां उत्तर भारत का एक मात्र पवित्र द्वादश ज्योतिर्लिंग में से बाबा बैद्यनाथ विराजमान है. यही वजह है कि यहां सालों भर पर्यटकों और श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ रहता है. इस पवित्र भूमि का जनप्रतिनिधित्व करने वाले अपने आप को सौभाग्यशाली मानते है. यहां से वर्तमान विधायक राजद के सुरेश पासवान है.
विधायक सुरेश पासवान की जीवनी
1 जनवरी 1965 को देवघर के पुनासी गांव में जन्मे सुरेश पासवान की प्रारंभिक शिक्षा मध्य विद्यालय पुनासी से ही हुई है. हाई स्कूल की पढ़ाई के लिए इनके माता पिता ने कोइरीडीह हाई स्कूल में नामांकन करवाया,लेकिन ये 10 की परीक्षा पास नहीं कर सके. इनके पिता दुवराज पासवान धनबाद में कोइलरी मजदूर थे. इनके माता का नाम भतनी देवी है. सुरेश पासवान की शादी बिहार के झाझा की रहने वाली सुभद्रा देवी से 1979 में हुई थी. शादी के 38 वे साल में इनका साथ पत्नी से छूट गया. शुभद्रा देवी का निधन 3 जुलाई 2017 में हुआ था. सुरेश पासवान के दो पुत्र रामकृष्ण और राहुल के अलावा एक पुत्री सुनीता है. मैट्रिक पास नहीं करने वाले सुरेश पासवान गांव से हैं. डीप बोरिंग लगवाना और चापानल मरम्मत करने का काम करते थे.
सीपीआई से राजद पार्टी तक का सफर
सुरेश पासवान शुरुआती दौर में सीपीआई नेता उपेंद्र चौरसिया के संपर्क में आये.साइकल से सीपीआई के संगठन को मजबूत किया.1982 में देवघर ही नही संताल परगना की महत्वकांक्षी योजना पुनासी जलाशय योजना की आधारशिला रखी गयी. इस योजना को पूरा करने के लिए ग्रामीणों के घर और उनका जमीन को सरकार को अधिग्रहित करना था. इसमें सैकड़ों परिवार विस्थापित होने वाले थे,उन्हें उचित हक़ और मुआवजा मिले तो वहां सुरेश पासवान आगे आए. यही से इनकी राजनीती की शुरुआत हुई. विस्थापित नेता और सीपीआई का साथ रहने से 1985 में पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़े.सीपीआई के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले सुरेश पासवान कांग्रेस प्रत्याशी बैद्यनाथ दास से हार गए थे. फिर सीपीआई के टिकट पर 1990 में में दुबारा चुनाव लड़े. इस चुनाव में भी वे दुबारा कांग्रेस प्रत्याशी बैद्यनाथ दास से हार गए.1995 में सीपीआई को छोड़ जनता दल के टिकट पर चुनाव जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचे. तब इन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी कामेश्वर दास को हराया था. इसके बाद राष्ट्रीय जनता दल पार्टी का गठन हुआ और 2000 में इसी पार्टी से चुनाव जीतकर लगातार दुबारा विधायक बने.
इस चुनाव में इन्होंने जदयू के शंकर पासवान को हराया था. 2005 में राजद के टिकट पर चुनाव फिर लड़े सुरेश पासवान लेकिन जदयू के कामेश्वर दास से चुनाव हार गए थे. 2009 में फिर से राजद ने सुरेश पासवान को टिकट दिया और इस बार इन्होंने जेवीएम के बलदेव दास को हराकर तीसरी बार देवघर के विधायक बनाने का सौभाग्य प्राप्त किया. हेमंत सोरेन सरकार में सुरेश पासवान नगर विकास एवं पर्यटन मंत्री बने. 2014 में जब मोदी लहर की शुरुआत हुई तो वे बीजेपी के नारायण दास से हार गए. 2019 के चुनाव में भी ये बीजेपी के नारायण दास से दुबारा हार गए. इसी साल 2024 में हुए चुनाव में इन्होंने फिर से राजद के टिकट पर चुनाव लड़ा और इस बार इन्होंने आखिरकार बीजेपी प्रत्याशी नारायण दास को हरा दिया.1985 से अभी तक सुरेश पासवान 10 विधानसभा का चुनाव लड़े जिसमे 4 बार विधायक बने इनमें 1 बार मंत्री बने.
सीबीआई भी खाली हाथ इनके आवास से लौटी थी
2009 से 14 में जब सुरेश पासवान विधायक बने तो यह कार्यकाल इनका परेशानी के साथ साथ मनवांछित भी रहा. इस कार्यालय में राज्यसभा की दो सीटों पर चुनाव भी हुआ. 2012 में इसी चुनाव पर हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप लगाते हुए कोर्ट में मामला दर्गज हुआ. कोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिया. इसी साल अप्रैल में सीबीआई ने सुरेश पासवान के आवास सहित ठिकानों पर छापेमारी भी की लेकिन कहीं कुछ हाथ नहीं लगा. तब 5 सौ रुपये से अधिक इनके पास के अलावा कही से भी कोई ठोस सबूत सीबीआई को हाथ नहीं लगा. सीबीआई के अधिकारी भी आश्चर्य चकित होकर खाली हाथ लौट गए थे. इसके बाद ये मंत्री बने. अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में तारा सहदेव औऱ रकीबुल प्रकरण में इनका नाम आने से इनको थोड़ी परेशानियों का भी सामना करना पड़ा था. इस मामले में भी इन्हें क्लीन चिट मिला.
मंत्री बनने की दुबारा उम्मीद टूट गई
झारखंड विधानसभा चुनाव में इस बार इंडी गठबंधन को प्रचंड बहुमत मिली.इस बहुमत में 4 सीटें राजद की भी है. सर्वाधिक सीट लेन वाले झामुमो से हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बने. इसके बाद कांग्रेस और राजद कोटे से मंत्री बनना था. राजद कोटे से सुरेश पासवान प्रबल दावेदार थे.पार्टी ने इन्हें विधायक दल का नेता बनाया.2009 के कार्यकाल के बाद 2024 के कार्यकाल में भी मंत्री बनने का सपना देख रहे सुरेश पासवान को झटका तब लगा जब मंत्रिमंडल के गठन औऱ शपथ लेने के लिए राजद पार्टी ने गोड्डा विधायक संजय यादव के नाम की घोषणा की. पार्टी के निर्णय से सुरेश पासवान के समर्थको में नाराजगी देखी गयी. फिलहाल सुरेश पासवान देवघर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिदिन भ्रमण कर जनता से मिल रहे है और उनकी समस्या को सुन रहे हैं. ये है देवघर विधायक सुरेश पासवान की जीवनी. कैसे विस्थापित नेता से राजनीतिक जीवन शुरू करने वाले चौथी बार विधायक बने.
रिपोर्ट- रितुराज सिन्हा
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