धनबाद(DHANBAD): सरकारी फंड का दुरुपयोग देखना हो तो मुख्यमंत्री या उनके अधीनस्थ कोई भी मंत्री धनबाद आकर देख ले. किस तरह सरकारी राशि का दुरुपयोग हो रहा है. सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का भवन छाती तान खड़ा है, मशीन भी आ गई है लेकिन उसे चलाने वाला कोई नहीं है. उन मशीनों को अब यहां से बाहर भेजने की तैयारी हो रही है.
जल्द ही स्वीपिंग मशीन की होगी खरीद
इधर, नगर निगम फिर स्वीपिंग मशीन खरीदने की योजना पर काम कर रहा है. धनबाद नगर निगम के प्रस्ताव पर नगर विकास विभाग ने मंजूरी भी दे दी है. अब जल्द ही स्वीपिंग मशीन की खरीद हो सकती है. अब सरकार से या निगम से कौन पूछे कि 2019 में जो स्वीपिंग मशीने खरीद कर आई थी, उनकी हालत क्या है. कितनी बार वह सड़क पर उतरी हैं, उनकी रखरखाव की क्या व्यवस्था की गई है. हीरापुर कंपैक्टर परिसर में वह मशीन जंग खा रही है. 2023 में ही निगम ने और कुछ मशीन खरीदी है. इन मशीनों की कीमत भी 7 करोड़ से अधिक बताया गया है. निगम दावा करता है की मशीन सड़क पर उतरती है लेकिन धनबाद की जनता तो उन मशीनों को सड़क साफ करते देखा नहीं है.
स्वीपिंग मशीन खरीदने के लिए सरकार से मिली मंजूरी
धनबाद नगर निगम में 15वें वित्त आयोग की राशि से तीन नई स्वीपिंग मशीन खरीदने का प्रस्ताव सरकार को भेजा था. सरकार ने इसकी मंजूरी दे दी है. सवाल है कि पहले खरीदी गई मशीन यूं ही पड़ी हैं तो फिर नई मशीन खरीदने की जरूरत क्यों पड़ी. इस सवाल का जवाब तो आज नहीं तो कल प्रस्ताव भेजने वाले अधिकारी को देना ही होगा. जानकारी के अनुसार नगर निगम जिन मशीन को खरीदने की तैयारी कर रहा है, उसे चलाने के लिए प्रति किलोमीटर 500 से ₹700 का खर्च आएगा. ऐसे में क्या यह मशीन सड़क पर चल पाएंगी , इसमें तो संदेह है.
सरकारी फंड का हो रहा दुरुपयोग
अगर चर्चा को आगे बढ़ाया जाए तो सिटी बसों की हालत को भी देखा जा सकता है. बेस खड़ी-खड़ी कबाड़ बन गई. इसे सरकारी फंड का दुरुपयोग नहीं तो और क्या कहा जाएगा. सुपर स्पेशलिटी भवन के लिए पैसे खर्च हुए, मशीन मंगाई गई, लेकिन उसे चालू नहीं किया गया और अब उन्हें दूसरी जगह ट्रांसफर करने की तैयारी हो रही है. यह बात अलग है कि मंगलवार को धनबाद के विधायक राज सिंह और कांग्रेस के वरीय नेता अशोक कुमार सिंह ने सूबे के स्वास्थ्य मंत्री से मुलाकात की और वस्तु स्थिति से अवगत कराया. स्वास्थ्य मंत्री ने भरोसा दिया है कि मशीनें स्थानांतरित नहीं होगी और सुपर स्पेशलिटी अस्पताल धनबाद में ही खुलेगा. अब लोगों को प्रतीक्षा रहेगी कि यह आश्वासन सिर्फ आश्वासन ही रहेगा अथवा जमीन पर भी उतरेगा.
बहर हाल इस तरह के प्रस्ताव को मंजूरी देने के पहले क्या जमीनी हकीकत जानने की कोई व्यवस्था सरकार के पास है अथवा नहीं. कौन सी योजना किस क्षेत्र के लिए उपयोगी होगी, यह जाने बिना किसी भी योजना के लिए मंजूरी देना कैसे सही हो सकता है. हो सकता है कि एक योजना किसी ज़िले के लिए उपयोगी हो लेकिन दूसरे ज़िले कके लिए वह अनुउपयोगी भी हो सकती है. ऐसे में हर एक जिले की अलग-अलग समस्याएं और परेशानी होती है.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो
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