लोहरदगा (LOHARDAGA) : लोहरदगा जिला का यह सबसे बड़ा सदर अस्पताल आज की तारीख में खुद बीमार पड़ा हुआ है. यहां क्षमता से भी आधे से कम डॉक्टर कार्य कर रहे हैं. जिसकी वजह से स्वास्थ्य व्यवस्था अक्सर बाधित और विवादित रहती है. सिविल सर्जन का कहना है कि क्षमता से आधे से कम डॉक्टर के बावजूद अन्य व्यवस्था की वजह से चिकित्सकों की कमी हमेशा बनी रहती है. एनेस्थीसिया का डॉक्टर नहीं होने की वजह से सिजिरियन या अन्य ऑपरेशन का कार्य नहीं हो पा रहा है. जिसका फायदा निजी क्लीनिक उठा रहे हैं. निजी क्लीनिक के दलाल दस बजे रात के बाद सदर अस्पताल में सक्रिय हो जाते हैं, और मरीजों से इलाज के नाम पर लाखों का चूना लगाते हैं. मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव लोहरदगा जिला में स्वास्थ्य व्यवस्था मजबूत करने के लिए शैक्षणिक व्यवस्था शुरू करना चाहते हैं, लेकिन वर्तमान समय में स्थिति चिंताजनक बनी हुई है. सिविल सर्जन भी इस समस्या को स्वीकार करते हैं.
राज्य सरकार की विफलता का उदाहरण है अस्पताल की बदहाली
लोहरदगा सदर अस्पताल में चिकित्सक की कमी को मंत्री पूरे राज्य में उत्पन्न समस्या से जोड़कर देखते हैं. वहीं लोहरदगा लोकसभा के सांसद सुदर्शन भगत पूरे मामले में राज्य सरकार की विफलता का आरोप लगा रहे हैं. लेकिन जिला की स्वास्थ्य व्यवस्था कैसे सुधरेगी इस दिशा में कोई संवेदनशीलता देखने को नहीं मिल रही है. लोहरदगा की यह स्वास्थ्य व्यवस्था मंत्री के जिले में है. स्वास्थ्य मंत्री डॉ बन्ना गुप्ता भी कई बार लोहरदगा आ चुके हैं, लेकिन भी इनके द्वारा कभी सदर अस्पताल का सुध लेने का कार्य नहीं किया गया. कहा जाय तो बन्ना गुप्ता जैसे सदर अस्पताल में क़दम रखना ही नहीं चाहते हो, अब देखना है कि सदर अस्पताल यू ही भगवान भरोसे चलेगा या फिर आने वाले समय में इसका कायाकल्प होगा.
रिपोर्ट: गौतम लेनिन, लोहरदगा
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