2025 के पूजा पंडालों में सन्देश भी : झरिया में 'बाल विवाह रोकने' का सन्देश कैसे दे रही सामाजिक संस्था, पढ़िए


धनबाद(DHANBAD) | धनबाद के पूजा पंडालो में इस साल नए-नए संदेश देने की कोशिश की गई है. कुरीतियों से लड़ने का रास्ता भी बताया गया है. यह यह एक अच्छी पहल कहीं जा सकती है. बाल विवाह प्रथा को रोकने का संदेश झरिया की एक संस्था देने के लिए पूजा के पंडालो को चुना है. यह जागरूकता जोर-शोर से की जा रही है. वैसे भी धनबाद में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या कम है. 2011 की जनगणना के अनुसार प्रति 1000 पुरुष पर 908 महिलाएं है. 2025 की पूजा के दौरान कला जागरूकता कार्यक्रम के तहत झरिया की संस्था ने देवी दुर्गा की दीवार पर कला के माध्यम से बाल विवाह रोकने का संदेश देने की पहल की है. देवी-देवताओं की एक आकर्षक दीवार कला (पश्चिम बंगाल की प्रसिद्ध पॉट पेंटिंग की तरह) के माध्यम से 'बाल विवाह रोकने' का संदेश दिया गया है. इसमें बताया गया है कि हिंदू देवी-देवताओं में बाल विवाह की प्रथा नहीं थी. हमारे समाज में ऐसी प्रथा क्यों प्रचलित है?
आइए, पूजा के दौरान इसे रोकने की शपथ ले. यह भी बताया गया कि बाल विवाह भारत में एक बुनियादी समस्या है, जिसकी शुरुआत प्राचीन काल में लड़कियों को आक्रांताओं से बचाने के लिए की गई थी. कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के युग में यह अब अप्रासंगिक हो गया है. यह पहल झरिया स्थित एक सामाजिक संस्था - इंस्टीट्यूशन फॉर नेशनल एमिटी (आईएनए) द्वारा पिनाकी रॉय, कलाकार संजय पंडित, मौसमी रॉय और सुब्रतो घोष के सहयोग से की गई है. यह कलाकृति झरिया के हेटलीबांध स्थित आईएनए कार्यालय में रखी गई है. सामाजिक कार्यकर्ता और आईएनए के संस्थापक पिनाकी रॉय ने कहा, "कोलियरी क्षेत्र में आज भी बाल विवाह की बड़ी संख्या देखी जाती है, कुछ नाबालिग बच्चियाँ प्रसव के दौरान मर जाती है.
इस प्रथा को बाल श्रम की तरह समाप्त किया जाना चाहिए,भविष्य में आईएनए इस पर काम करेगा. मौसमी रॉय और संजय पंडित ने कहा, "देवी दुर्गा पर आधारित इस कला को बनाने के लिए हमने केवल रंग, कागज़ और कपड़ों का इस्तेमाल किया है. यह सामाजिक संदेश देने का एक सशक्त माध्यम बन गया है. कार्यक्रम में पिनाकी राय, संजय पंडित, मौसमी राय ,तृषा कुमारी , पलक कुमारी, सुनंदा घोष, मिलन बैनर्जी, सुब्रतो घोष, अनंगारी राय आदि उपस्थित थे.
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