देवघर(DEOGHAR):विश्व प्रसिद्ध बैद्यनाथ धाम की अपनी अलग पहचान है. जो इस धाम में बखूबी देखने को मिलता है. इसी में से एक है, बेलपत्र प्रदर्शनी का जो इस ज्योतिर्लिंग को अन्य ज्योतिर्लिंग से अलग बनाता है. श्रावणी मास की संक्रांति तिथि से आगामी संक्रांति तिथि के प्रत्येक सोमवार को मंदिर परिसर में अलग-अलग पुरोहितो की ओर से यहां आये श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बेलपत्र प्रदर्शनी लगा कर किया जाता है. ये दुर्लभ बेलपत्र यहां के पुरोहित दूर-दराज से लाते है.
बेलपत्र अर्पित करने से अद्भुत फल की होती है प्राप्ति
4 जुलाई से सावन का पवित्र माह शुरू हो गया है. इस बार दो चरण में सावन का आयोजन किया जा रहा है. प्रथम चरण का सावन के समाप्ति के बाद आज से मलमास यानी पुरुषोत्तम मास की शुरुआत हो गयी है. जो पूरा एक माह तक चलेगा. इसके समाप्ति के बाद फिर से सावन माह की दूसरे चरण की शुरूआत हो जाएगी. देवघरवासी बंगला पंचांग के अनुसार सावन मानते है. सावन संक्रांति के दिन से यहां सावन माह की शुरुआत होती है.
सावन संक्रांति से संक्रांति तक लगती है दुर्लभ बेलपत्र प्रदर्शनी
सावन में पवित्र ज्योतिर्लिंग पर गंगा जल के साथ बेलपत्र अर्पित करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. जानकारों के अनुसार शिव आराधना में बेलपत्र का खास महत्व है. बेल के वृक्ष को श्रीवृक्ष भी कहा जाता है. साक्षात देवी के शरीर से इस वृक्ष की उत्पत्ति मानी जाती है. बेलपत्र की तरह महादेव के भी त्रिनेत्र हैं. मनुष्य के शरीर में भी तीन गुण पाए जाते हैं-रजो गुण, तमो गुण और सतो गुण-कहा जाता है, कि शिव को बेलपत्र अर्पित करने से इन तीनों गुणों का नियंत्रण मनुष्य करने में सक्षम हो पाता है.
बेलपत्र चढ़ाने से तीनों जन्म में किये गए कर्मों का फल मिलता है
तीनों लोक और तीनों जन्म में किये गए कर्मों का फल भी महादेव को बेलपत्र चढ़ाने से प्राप्त होता है. कहा जाता है कि वैभव,यश और कीर्ति मनुष्य की तीन प्रमुख कामना होती है, इन तीनों की प्राप्ति भगवान शिव को बेलपत्र अर्पित करने से होती है. मान्यता है कि यही बेलपत्र चढ़ाकर माता पार्वती ने भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न किया था. यही वजह है कि महादेव को बेलपत्र अति प्रिय है.
बेलपत्र प्रदर्शनी अन्य ज्योर्तिलिंगों में देखने को नहीं मिलती
देवघर के बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग को कामना लिंग के रुप में भी जाना जाता है. जहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु सावन के पावन माह में बाबा का जलाभिषेक करने यहां आते हैं. ऐसी मान्यता है कि श्रावण में गंगाजल से बाबा का जलाभिषेक से सभी मनोकामना पूरी होती है. लेकिन गंगाजल के साथ बेलपत्र भी बाबा को अतिप्रिय है. बेलपत्र की इसी महत्व की वजह से यहां के पुरोहित दूर-दराज के जंगलो से कई दुर्लभ प्रजाति के बेलपत्र चुन कर लाते है, और बाबा को अर्पित करते है.
बेलपत्र को चांदी की थाली में आकर्षक ढ़ंग से सजाया जाता है
इनकी ओर से एक बेलपत्र की प्रदर्शनी भी लगाई जाती है, जो किसी अन्य ज्योतिर्लिंग में नहीं देखा जाता है. जिसका आनंद यहां आये श्रद्धालु खूब उठाते हैं. यह परंपरा वर्षो पुरानी है, जो आज तक चली आ रही है. बेलपत्र को चांदी की थाली में आकर्षक ढ़ंग से सजाया जाता है.
रिपोर्ट-रितुराज सिन्हा
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