टीएनपी डेस्क (Tnp desk):- अभी तो झारखंड कांग्रेस में अंदर ही अंदर मंत्री पद की ख्वाहिशे सकार होने की आस लगाये बैठे हैं . रांची से लेकर दिल्ली तक लॉबिंग और भागमभागी चल रही है, शायद कुछ बात बन जाए, कुछ रास्ता निकल जाए और सपने हकीकत में तब्दील हो जाए. कईयों ने तो खुलेआम उन ख्वाहिशों को बेपर्दा कर दिल की बात तक कह डाली है. खैर चंपई सोरेन के मंत्रिमंडल का विस्तार 16 फरवरी को होना है. इसके बाद ही मालूम चलेगा कि आखिर किनके सिर मंत्री पद का ताज सजेगा, फिलहाल अंसमंजस , अटकले और आशंका के बादल ही मंडराते रहेंगे.
महागठबंधन में होगी खींचतान !
ये तो बात रही मौजूदा हालात की. लेकिन, आने वाला पहला इम्तहान महगठबंधन के लिए लोकसभा का चुनाव है. जहां इंडिया को एनडीए से फाइट करना है. उस बीजपी के को जल,जंगल और जमीन के प्रदेश से सफाये करना है. जो मैदान में खुद के जीत के दावें कर रही है.
अब चुनाव में तो कुछ महीनों का वक्त है. लेकिन, सबसे बड़ा मसला तो गठबंधन के लिए सीट बंटवारा है. जो अभी तक साफ-साफ नहीं हो सका है. जमीन घोटाले के आरोप में जेल में बंद हेमंत के जाने के बाद एक तरह से कोलहाल मचा हुआ था. लोकसभा चुनाव पर बात ही नहीं हो रही थी. हालांकि, इस सिलसले में दिल्ली में एकबार बैठक हो चुकी है. पर बात पक्की नहीं हो सकी . सभी दलों ने अपने-अपने दांवे सीटों पर की है. चाहे कांग्रेस, जेएमएम या राजद हो.
सींट बंटवारे की किचकिच
महागठबंधन की सरकार झारखंड की सत्ता में तो काबिज है और सभी गठबंधन धर्म का निर्वहन भी कर रहे हैं. लेकिन, नेताओं के जुबान से जो बाते फिंजा में तैरती है. उससे तो लगता है कि महागठबंधन में एकबार फिर इस मसले को लेकर घमासान और किचकिच होगी.
इसकी एक बानगी और एक इशारा तत्कालीन हेमंत सोरेन की सरकार में वित्त मंत्री रहे रामेश्वर उरांव की बातों से लगता है. उनकी बाते बचकाना है या फिर सचमुच दावा है. ये तो अभी कहना मुनासिब नहीं है. लेकिन, कही न कही इशारा एक किचकिच की तरफ तो जरुर करता है. गढ़वा में रामेश्वर उरांव ने पत्रकारों के सामने पलामू समेत झारखंड की 9 सीट पर कांग्रेस के लड़ने की बात कही. इनमे लोहरदागा , खूंटी, चाईबासा, गोड्डा , कोडरमा, रांची, हजारीबाग, धनबाद और पलामू लोकसभा सीट है. हालांकि, उन्होंने सभी सहयोगी दल से राय-विचार करके अंतिम मुहर लगाने की बात कही.
कांग्रेस का 9 सीटों पर दावा
यहां सवाल है कि बार-बार कांग्रेस 9 सीट पर लड़ने की बाते बोल रही है. अगर उस पर अड़ी रह गई तो फिर झारखंड मुक्ति मोर्चा भड़क सकती है . सीट शेयरिंग गठबंधन के बिखरने की वजह बन सकता है. प्रश्न तो यही है और समझने वाली बात भी है कि अगर 14 लोकसभा सीट में कांग्रेस 9 सीट पर लड़ती है, तो बाकी बची पांच सीट पर जेएमएम और आरजेडी लड़ेगी. हाल में राजद ने भी ज्यादा सीटों की मांग कर चुकी है. ऐसे में अगर दो सीट पर भी राष्ट्रीय जनता दल अड़ गया, तो फिर जेएमएम के पास 3 ही सीट बचेगी . ऐसे में अगर बात नहीं बनती है. जल्द ही कोई रास्ता नहीं निकाला जाता है. तो फिर गठबंधन ही टूट-फूट जाएगा. भाजपा को पराजित करने का सपना बेमानी हो जाएगी.
लोकसभा चुनाव तो दहलीज पर है, सीट बंटवारे के मसले को तो सुलझाना ही होगा. अगर इसमे बात नहीं बनीं तो फिर जिसके लिए सभी एक हुए हैं, वो मकसद पूरा नहीं होगा यानि भाजपा के लिए झारखंड में फिर खुला मैदान होगा और राह भी आसान होगी.
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