खूंटी (TNP Desk) : लोकसभा चुनाव 2024 का बिगुल तो नहीं बजा है लेकिन राजनीति हलचल पूरी तरह से बढ़ गई. एक के बाद एक विभिन्न राजनीतिक दलों के द्वारा जगह-जगह पर जनसभा हो रही है. जनता को आकर्षित करने के लिए लोकलुभावने वादे किये जा रहे हैं. विपक्ष पर सियासी बान से हमला किया जा रहा है. वहीं भगवान बिरसा मुंडा की धरती पर भी राजनीतिक तपीश बढ़ गई है. हम बात कर रहे हैं खूंटी लोकसभा क्षेत्र की. यहां के हर चौक-चौराहों पर यहां तक कि कार्यालयों में भी चुनाव पर चर्चा शुरू हो गया है. सबसे ज्यादा चाय की दुकानों पर खूंटी संसदीय क्षेत्र की चर्चा हो रही है. सभी लोग इतना मान रहे हैं कि इस बार के चुनावी जंग में मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच ही होना है, क्योंकि पिछली बार भी कांग्रेस ने ही बीजेपी के अर्जुन मुंडा को कड़ी टक्कर दी थी. जिसमें वो हारते-हारते बच गए. लोगों का कहना इस बार भी अर्जुन मुंडा को कोई टक्कर देगा तो वो है कांग्रेस. पर लोगों में इस बात को लेकर अधिक चर्चा है कि कांग्रेस अपने किस योद्धा को अर्जुन मुंडा के खिलाफ मैदान में उतारती है.
खूंटी से कांग्रेस के टिकट के कई दावेदार
कांग्रेस के टिकट के मुख्य दावेदारों में पहला दो बार लोकसभा चुनाव में भाग्य आजमा चुके पूर्व विधायक काली चरण मुंडा हैं और दूसरा हाल ही कांग्रेस का दामन थामने वाली विस्थापन विरोधी नेता के रूप अपनी पहचान बनाने वाली दयामनी बारला हैं. काली चरण मुंडा ने ही 2019 के लोकसभा चुनाव में केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा को कड़ा टक्कर दिया था. वहीं दयामनी बारला की बात करें तो वे भी 2019 के लोकसभा चुनाव में अपनी किस्मत आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी के रूप में अजमा चुकी हैं. उन्हें कोई सफलता नहीं मिली थी. वैसे खूंटी संसदीय सीट से कांग्रेस के टिकट के दावादारों में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप बलमुचू के नाम की भी चर्चा है.
झामुमो भी ठोंक सकता है दावेदारी
चुनावी तपीश के बीच राजनीति के गलियारों में इस बात पर भी चर्चा है कि खूंटी से इस बार झारखंड मुक्ति मोर्चा भी दावेदारी ठोंक सकता है. झामुमो नेताओं की ओर से तर्क ये दिया जा रहा है कि यहां से कांग्रेस कई चुनावों में पराजय का मुंह देख चुकी है. इसलिए इस बार झामुमो को मौका मिलना चाहिए. हालांकि ये तो आने वाले समय में ही पता चलेगा कि इस सीट से अर्जुन मुंडा के खिलाफ कौन प्रत्याशी होगा. कांग्रेस के साथ-साथ झामुमो भी दबे जुबान से अपनी दावेदारी पेश करना शुरू कर दिया है.
सिर्फ 1445 मतों से जीते थे अर्जुन मुंडा
दरअसल, 2019 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी अर्जुन मुंडा को कांग्रेस के काली चरण मुंडा से काफी संघर्ष करना पड़ा था. कांटे के मुकाबले में कांग्रेस के काली चरण मुंडा से महज 1445 मतों के अंतर से बीजेपी नेता जीत पाये थे. उस चुनाव में अर्जुन मुंडा को 382638 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी काली चरण मुंडा को 381193 मत मिले थे.
2014 में आप की टिकट पर भाग्य आजमा चुकी हैं दयामनी बारला
विस्थापन विरोधी नेता के रूप में अपना पहचान बना चुकी दयामनी बारला 2014 के लोकसभा चुनाव लड़ चुकी हैं. आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार के रूप में दयामनी बरला अपना भाग्य आजमा चुकी हैं. यह अलग बात है कि वे अपनी जमानत तक नहीं बचा पाई थी. उस चुनाव में उन्हें महज 11822 वोट मिले थे. दयामनी बारला अपनी आदिवासी हितैषी की छवि को लेकर चुनाव मैदान में उतरी थी, पर आम आदमी पार्टी को कोई जनाधार नहीं होने के कारण उनकी जमानत भी जब्त हो गई थी. इस बार लोकसभा चुनाव से पहले दयामनी बारला कांग्रेस का हाथ थाम चुकी है. देखना होगा कि खूंटी लोकसभा सीट से पार्टी किसे उम्मीदवार बना रही है.
इन मुद्दों पर बीजेपी को घेरने की फिराक में कांग्रेस
बता दें कि आनेवाले लोकसभा चुनाव में एक ओर जहां भाजपा को नरेंद्र मोदी की छवि और केंद्र सरकार द्वारा किये गये कार्यों पर भरोसा है, वहीं कांग्रेस हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी और विरोधी दल के नेताओं के खिलाफ ईडी की कार्रवाई और महंगाई को मुद्दा बनाने की फिराक में है. राजनीति के पंडितों का मानना है कि अर्जुन मुंडा को लोकसभा चुनाव में अयोध्या में भगवान श्रीराम लला की प्राण प्रतिष्ठा, केंद्र के द्वारा लोगों को दिए गए योजनाओं का भी बीजेपी उम्मीदवार को मिल सकता है। हालांकि क्षेत्र में राम लहर पर राजनीति के जानकारों का कहना है कि इसके कारण ईसाई और मुसलमान मतों का ध्रुवीकरण हो सकता है. अब तक हुए चुनावों में देखा गया है कि भाजपा को पराजित करने के लिए इन मतों का ध्रुवीकरण होता रहा है.
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