रांची (RANCHI) : लोकसभा चुनाव-2024 का बिगुल बज गया है. झारखंड की कुल 14 लोकसभा सीटों में एक गिरिडीह संसदीय क्षेत्र है. यह खनिज संपदा से संपन्न क्षेत्र है. इस सीट पर सभी की नजरें बनी हुई है. क्योंकि अभी तक किसी पार्टी ने अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है. बीजेपी ने 11 सीटों पर प्रत्याशियों का एलान कर दिया है, लेकिन दो सीटों पर अभी तक फैसला पार्टी ने नहीं की है. इस सीट पर एक बार फिर से राजनीतिक गोटी सेट होनी शुरू हो गई है. हालांकि, झारखंड में आजसू पार्टी और भाजपा के बीच समझौता है, तो ऐसे में यह माना जा रहा है कि गिरिडीह की सीट इस बार भी आजसू के खाते में ही रहेगी. वहीं इंडिया गठबंधन ने झारखंड के किसी भी सीट पर प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है. सभी सीटों पर अभी भी मंथन चल ही रहा है. इंडिया गठबंधन के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि जल्द ही उम्मीदवारों का एलान कर दिया जाएगा. गिरिडीह सीट बीजेपी-आजसू के लिए इस बार जितना चुनौती है उतना हीं विपक्ष के लिए बहुत खास हो गया है. विपक्ष से दावेदार कई हैं लेकिन इस पर अभी तक कोई निर्णय नहीं ले पाया है.
झारखंड बंटवारे के बाद झामुमो का कब्जा
झारखंड बंटवारे के बाद पहली बार 2004 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से झामुमो के टेकलाल महतो ने जीत दर्ज की. इन्हें कुल 49 फीसदी मत प्राप्त हुए। भाजपा के रविंद्र कुमार पांडे को 28.5 फीसदी मत प्राप्त हुए थे. 2004 के लोकसभा चुनाव में गिरिडीह की लोकसभा सीट भाजपा के हाथ से निकल गई. इससे पहले लगातार तीन बार इस लोकसभा सीट पर भाजपा ने कब्जा जमाया था.
2009 में भाजपा ने की वापसी
2009 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने वापसी की. गिरिडीह सीट बीजेपी के रविंद्र कुमार पांडे विजयी हुए. 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर फिर रविंद्र कुमार पांडे भाजपा से विजयी हुए. इस बार रविंद्र कुमार पांडे को कुल 40.4 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे. झामुमो के जगन्नाथ महतो को 36.02 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे.
2019 में आजसू के खाते में गई गिरिडीह सीट
लोकसभा चुनाव 2019 में गिरिडीह सीट पर भाजपा और आजसू के बीच सीटों का समझौता हुआ था, जिसके तहत यह सीट आजसू के पास चली गई. आजसू पार्टी के चंद्र प्रकाश चौधरी ने गिरिडीह सीट से 2019 में जीत हासिल की.
2024 में कौन होगा उम्मीदवार ?
चुकि लोकसभा चुनाव 2024 का बिगुल बज गया है, लेकिन गिरिडीह सीट से भाजपा-आजसू ने अभी तक प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है. वहीं झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन ने भी एलान नहीं किया है. इस सीट पर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है. लोगों की नजरें अभी भी टिकी हुई है. आखिर पक्ष और विपक्ष से कौन उम्मीदवार होगा. हालांकि दावा किया जा रहा है कि 2024 के दंगल में इस बार कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी. लोगों का मानना है कि पिछली बार चंद्रप्रकाश चौधरी मोदी की आंधी में सांसद बन गए थे, लेकिन इस बार उनकी राहें आसान नहीं है. क्षेत्र की जनता उनसे नाराज चल रहे हैं. वे लोगों से जुड़ नहीं पाए और क्षेत्र के कई ऐसे काम थे जिसे उन्होंने पूरा नहीं किया.
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