धनबाद(DHANBAD): झारखंड में प्रतिपक्ष के नेता और चंदनकियारी के विधायक शनिवार को धनबाद में कांग्रेस पर तीखा हमला बोला. कहा कि कांग्रेस पार्टी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कह दिया है कि उसके पास पैसे नहीं है. ऐसे में डूबते नाव पर कोई पैसा नहीं लगाएगा. शनिवार को वह धनबाद लोकसभा की बैठक में भाग लेने के लिए आए थे. उन्होंने इस बात को पूरी तरह से खारिज कर दिया कि ढुल्लू महतो की उम्मीदवारी का कहीं कोई विरोध है. यह जरूर कहा कि जब भी कोई परिवर्तन होता है तो थोड़ा बहुत विरोध होता है. लेकिन वह सब समय के साथ ठीक हो जाता है. खैर, अभी तो धनबाद सहित झारखंड में इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार की कई जगहों पर घोषणा होनी बाकी है.ऐसे में नाम नहीं देने की शर्त पर बीजेपी, कांग्रेस या अन्य दल के कार्यकर्ताओं का सवाल है कि जब दूसरे दलों से आए लोगों को तरजीह मिलेगी तो उनका पार्टियों में क्या काम. यह बात अलग है कि चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस या अन्य कोई दल, कम से कम झारखंड में तो दूसरे दलों से आए लोगों पर पार्टियां भरोसा अधिक करती हैं. यह सिर्फ किवदंती नहीं, बल्कि हकीकत है.
झारखंड में दल बदलू नेताओं पर कांग्रेस बीजेपी दिखा रही अधिक भरोसा!
यह भी बात सच है कि लोकसभा का चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे दल बदल भी तेज होता जा रहा है. झारखंड में भी एनडीए हो या इंडिया ब्लॉक दल बदल कर आ रहे नेताओं पर अधिक भरोसा कर रहे हैं. इंडिया ब्लॉक ने हजारीबाग से जेपी पटेल को प्रत्याशी बनाया है. जेपी पटेल झारखंड मुक्ति मोर्चा से राजनीति शुरू की, फिर बीजेपी में आए और अब कांग्रेस में आ गए हैं. अक्टूबर 2019 में बीजेपी में गए. बीजेपी में विधायक का चुनाव जीतने के बाद अब लोकसभा चुनाव के ठीक पहले कांग्रेस में शामिल हो गए और कांग्रेस ने उन्हें हजारीबाग से उम्मीदवार बना दिया है. लोहरदगा से कांग्रेस के प्रत्याशी बने सुखदेव भगत ने भी कांग्रेस से राजनीतिक जीवन की शुरुआत की. लेकिन 2019 लोकसभा चुनाव के पहले बीजेपी के पास चले गए. 2022 में फिर कांग्रेस में वापसी की. उसके बाद कांग्रेस ने उन्हें दूसरी बार उम्मीदवार बना दिया है. अब एनडीए की बात की जाए तो केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी 2019 में लोकसभा चुनाव के पहले बीजेपी में शामिल हुई. बीजेपी के पूर्व सांसद डॉ रविंद्र राय का टिकट काटकर अन्नपूर्णा देवी को उम्मीदवार बनाया गया. बीजेपी में शामिल होकर कोडरमा से चुनाव लड़ी और विजई रही.
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इसी तरह कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी में आई गीता कोड़ा को सिंहभूम से बीजेपी ने प्रत्याशी बनाया है. वह कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी में शामिल हुई और सिंहभूम से बीजेपी ने उन्हें अपना उम्मीदवार घोषित किया है. शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन भी झारखंड मुक्ति मोर्चा की राजनीति की. अभी हाल फिलहाल में ही वह बीजेपी में आई और बीजेपी ने उन्हें दुमका से लोकसभा का उम्मीदवार बना दिया है. जमशेदपुर के सांसद विद्युत वरण महतो भी लंबे समय तक झारखंड मुक्ति मोर्चा में रहे और अब बीजेपी के सांसद हैं. चतरा से प्रत्याशी बनाए गए कालीचरण सिंह भी झारखंड विकास मोर्चा से बीजेपी में आए हैं. रांची के प्रत्याशी संजय सेठ की बात की जाए तो बीजेपी से राजनीति शुरू की. फिर झारखंड विकास मोर्चा में गए. उसके बाद बीजेपी में लौटे. इस बार रांची से सिटिंग एमपी भी हैं. धनबाद प्रत्याशी ढुल्लू महतो की बात की जाए तो ढुल्लू महतो भी समरेश सिंह की वनांचल कांग्रेस के बाद झारखंड विकास मोर्चा में आए. उसके बाद फिर भाजपा के साथ हुए. अभी बीजेपी के टिकट पर बाघमारा से विधायक हैं. इस तरह से और भी सूची है. मनीष जायसवाल का नाम भी इसी तरह की सूची में गिनाया जाता है. अब तो चुनाव के समय दल बदल के खिलाफ कोई कानून बनाने की मांग उठने लगी है. धनबाद के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि अगर बाहर से आए उम्मीदवारों के भरोसे ही राजनीतिक दलों को चुनाव लड़ना है, तो फिर कार्यकर्ताओं का क्या होगा. पार्टी संगठन में इसका सही संदेश नहीं जाएगा.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
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