धनबाद(DHANBAD): झारखंड की राजनीति में नया ट्रेंड डेवलप हो रहा है. धनबाद में भी हो गया है. पत्नियां राजनीति में एंट्री कर रही है. धनबाद में शायद इस तरह का पहला मामला है. दूसरी तरफ बेटों के बाद बेटियों को भी राजनीति में प्रवेश कराया जा रहा है. झारखंड की राजनीति में इसके कई उदाहरण भरे पड़े है. धनबाद लोकसभा की चुनावी राजनीति में पत्नी की एंट्री हुई है. विधायक अनूप सिंह की पत्नी अनुपमा सिंह धनबाद से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रही है. यह उनका पहला चुनाव है. पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी का भी इसी साल राजनीति में एंट्री हुआ है. वह अब गिरिडीह के गांडेय विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगी. बात सिर्फ इतनी ही नहीं है, 2024 के चुनाव में रांची संसदीय क्षेत्र से भी एक बेटी अपने पिता के विरासत को आगे बढ़ाने जा रही है.
बेटों की जगह अब बेटियां चल रही आगे आगे
कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में सुबोध कांत सहाय की बेटी यशस्विनी सहाय को उम्मीदवार बनाया है. इसके पहले वह सक्रिय राजनीति में नहीं थी. रांची के लोग उन पर कितना भरोसा करेंगे, यह तो चुनाव का परिणाम ही बताएगा. देश सहित झारखंड में पिता के बाद बेटे राजनीति विरासत संभालते आए हैं, इसके कई उदाहरण है. लेकिन हाल के दिनों में नया ट्रेंड शुरू हुआ है. राजनेताओं की बेटियां भी राजनीति में उतर रही है. चुनाव लड़ रही है, योगेंद्र साव की बेटी अंबा प्रसाद विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक बनी है. बंधु तिर्की की बेटी शिल्पी नेहा तिर्की भी विधानसभा पहुंच गई है. रांची के पूर्व सांसद सुबोध कांत सहाय की बेटी रांची सीट पर उम्मीदवार है. यह अलग बात है कि बेटियों के चुनाव मैदान में आने के कई कारण और कुछ परिस्थितियों भी रही है.
कद काठी बढ़ाने के लिए भी बदला जा रहा ट्रेंड
लेकिन कुछ कारण ऐसे भी हैं, जहां पत्नी को कहीं मजबूरी में तो कहीं अपनी राजनीतिक प्रतिष्ठा को बढ़ाने के लिए चुनावी राजनीति में लाया जाता है. पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन को गांडेय विधानसभा से चुनाव लड़ाना राजनीतिक मजबूरी हो सकती है, लेकिन धनबाद से अनुपमा सिंह को टिकट दिलवाने और फिर साथ में चुनाव प्रचार करना ,कोई राजनीतिक मजबूरी नहीं कहीं जा सकती. यह तो अपनी राजनीतिक प्रतिष्ठा बढ़ाने का प्रयास है. अनुपमा सिंह के ससुर राजेंद्र प्रसाद सिंह मजदूर संगठन से उपजे हुए नेता थे. वह राजनीति की ऊंचाइयों को छूआ , उनके निधन के बाद हुए उपचुनाव में उनके बड़े बेटे अनूप सिंह बेरमो से चुनाव लड़े और जीते. लेकिन अनूप सिंह अब अपना राजनीतिक कद बढ़ाने की कोशिश में है और इसी प्रयास में वह अपनी पत्नी अनुपमा सिंह को धनबाद से टिकट दिलवाने में सफल रहे. उनकी पत्नी अभी धनबाद लोकसभा से चुनाव लड़ रही है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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