झामुमो को छोड़कर बीजेपी में गए नेता पछतावे में या सदमे में, क्यों ऐसा कहा जा रहा, पढ़िए


धनबाद(DHANBAD): विधानसभा चुनाव के ठीक पहले झामुमो को छोड़कर बीजेपी में गए नेता पछतावे में है या सदमे में. यह सवाल झारखंड के गलियारों में तैर रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा से सरायकेला के विधायक चम्पाई सोरेन ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट कर कहा है कि एक एजेंडा के तहत एक पुराने वीडियो को वायरल करवाकर उनके बारे में कुछ भ्रामक अफवाहें फैलाई जा रही है. उन्होंने लोगों से अपील की है कि ऐसी झूठी अफवाहों से बचे. दरअसल, सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में चम्पाई सोरेन झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन की तारीफ कर रहे है.
वायरल वीडियो पुराना बताया जाता है
हालांकि यह वीडियो उस समय का बताया जाता है ,जब हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद वह झारखंड के मुख्यमंत्री बने थे. तब उन्होंने कहा था कि हेमंत सोरेन युवा हृदय सम्राट है और मुख्यमंत्री के तौर पर उन्होंने कई ऐसे काम किया. जो दूसरे राज्यों की सरकारों ने भी अपनाया. चम्पाई सोरेन 2 फरवरी 24 से 3 जुलाई 24 तक झारखंड के मुख्यमंत्री रहे. उसके बाद वह झामुमो का साथ छोड़कर 30 अगस्त 2024 को भाजपा में शामिल हो गए. झारखंड के विधानसभा चुनाव में चम्पाई सोरेन कोल्हान के सीटों पर तो खुद जीत गए. लेकिन पार्टी के अन्य प्रत्याशियों को वह नहीं जीता पाए. वैसे, तो विधानसभा चुनाव में भाजपा की बुरी हार हुई है.
कई कारणों से भाजपा को मिली हार
दरअसल, कुछ ऐसी वजह रही, जिसे भाजपा को मात मिली. चुनाव में भाजपा को उम्मीद थी कि हेमंत सोरेन के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप को वह प्रमुख मुद्दा बना देगी. लेकिन यह उल्टा पड़ गया. हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन ने गिरफ्तारी को राजनीतिक उत्पीड़न बताकर हेमंत सोरेन के पक्ष में जनमत जुटाने में निर्णायक भूमिका निभाई. भाजपा ने बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया. संथाल परगना में भाजपा ने एक दृश्य पेश किया, जिसे भाजपा ने उसे "मिनी बांग्लादेश" करार दिया. भाजपा ने मतदाताओं को भरोसा दिया कि अगर वह सत्ता में आई , तो अवैध प्रवासियों को बाहर कर देगी. .
भाजपा का यह दृष्टिकोण भी शायद उल्टा पड़ गया
हालांकि, यह दृष्टिकोण भी शायद उल्टा पड़ गया. विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री का उम्मीदवार पेश नहीं किया गया. लेकिन गठबंधन की ओर से हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री के उम्मीदवार पेश किए गए. इसका भी फायदा झामुमो को मिला और भाजपा को नुकसान हुआ. गठबंधन छोड़कर भाजपा में शामिल कराकर चुनाव में उतारने की रणनीति भी भाजपा की सही साबित नहीं हुई. सीता सोरेन, जो भाजपा में शामिल हुई लेकिन चुनाव में उन्हें नुकसान हुआ. कहा जा सकता है की दलबदलुओं के साथ जनता ने नहीं दिया. लोबिन हेंब्रम का नाम भी इसमें गिनाया जा सकता है. यह अलग बात है कि कई तरह की अफवाहें चल रही है. देखना है कि आगे -आगे होता है क्या?
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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