धनबाद(DHANBAD): चुनाव तो चुनाव होता है. राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों में तो इसके लिए गजब की फुर्ती आ जाती है. उनकी क्षमता कई गुना अधिक बढ़ जाती है. फिलहाल ऐसा ही कुछ देखने को चारों ओर मिल रहा है .
वोटरों को लुभाने की कोशिश शुरु
22 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका में थे तो गृह मंत्री अमित शाह छत्तीसगढ़ में थे. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष झारखंड में थे. विपक्षी एकता की बैठक में भाग लेने के लिए कई मुख्यमंत्री पटना में थे. झारखंड की राजधानी रांची में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन नियुक्ति पत्र बांट रहे थे. झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरीय नेता सुप्रियो भट्टाचार्य भाजपा से पूछ रहे थे कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को मणिपुर जाना चाहिए, जहां उन्हीं के विधायक और मंत्री अपनी ही सरकार से इस्तीफा मांग रहे हैं. भाजपा के झारखंड प्रभारी लक्ष्मीकांत बाजपेई धनबाद में थे. चुनाव की घोषणा भी नहीं हुई है लेकिन सक्रियता तेज हो गई है. सब अपने-अपने ढंग और तरीके से वोटरों को लुभाने की कोशिश में जुट गए हैं. आज पटना में विपक्षी एकता पर मैराथन बैठक होने वाली है .इस बैठक पर सत्ता दल से लेकर सभी की निगाहें टिकी हुई है.
आज पटना में विपक्षी एकता की बैठक पर सबकी नजर
आज पटना की बैठक में कोई फैसला होता है या फिर निर्णय अगली बैठक के लिए टाल दिया जाता है, इस पर सबकी निगाहें लगी हुई है. वैसे झारखंड में गुरुवार को जो भी नेता रहे, उन्होंने हेमंत सरकार को निशाने पर लिया. कहा कि यह भ्रष्टाचारी सरकार है. इसे उखाड़ फेंकने पर ही झारखंड को सुख शांति मिल सकती है. जमीन घोटाला, शराब घोटाला, अवैध खनन में यह सरकार संरक्षक की भूमिका है. इस तरह यह सरकार घोटालों की सरकार बन गई है. भाजपा नेताओं ने दावा किया कि अगर झारखंड में भाजपा की सरकार बनती है इन समस्याओं को तुरंत खत्म कर दिया जाएगा.
राजनीतिक पार्टियां अभी से चुनावी मोड में
वही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने लगभग ढाई हजार युवाओं को नियुक्ति पत्र दिया. कहा कि पूरे देश में जहां सरकारी नौकरियां सिमटती जा रही है, वहीं झारखंड में नियुक्ति पत्र देने का सिलसिला चल निकला है और यह आगे भी जारी रहेगा. चुनाव की तिथि की अभी घोषणा नहीं हुई है लेकिन राजनीतिक पार्टियां अभी से चुनावी मोड में दिखने लगी हैं. चौक चौराहे पर चर्चा शुरू हो गई है. नेताओं की खड़ी बाहर निकल गई है. कपड़े का डिमांड भी बढ़ गया है. नेताओं के घर दरवाजे पर भीड़ जुटने लगी है. नेता भी धूप, घाम का प्रवाह किए बिना पगडंडी पगडंडी अभी से ही घूमने लगे हैं. यह बात तो तय है कि 2024 का चुनाव कोई आसान चुनाव नहीं होगा. इसमें कई रोचक तथ्य उभर कर सामने आएंगे. देखना है सभी दलों के लिए प्रतिष्ठा मूलक यह चुनाव कौन कौन सा रंग विखेरता है.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो
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