धनबाद(DHANBAD) : जमाना बदल रहा है, लोगों की सोच बदल रही है. इस वजह से कई पुरानी सुविधाएं अब इतिहास बनने के कगार पर खड़ी है. महानगरों में से एक कोलकाता की अगर बात की जाए, तो कोलकाता की स्पेशल ट्राम सेवा अब लगभग इतिहास बन गई है. पीली टैक्सी भी उसी रास्ते पर चल रही है. अनुमान लगाया जा रहा है कि बहुत जल्द ही यह पीली टैक्सी कोलकाता की सड़कों से गायब हो जाएंगी. कभी काले और पीले रंग में नजर आने वाली एंबेसडर टैक्सियां पहली बार 1962 में कोलकाता की सड़कों पर चली थी.
कोलकाता में विशेष पहचान रखती है यह टैक्सी
यह टैक्सी कोलकाता के लिए उतनी ही पहचान अब भी रखती है. जितना हावड़ा ब्रिज की पहचान है. लेकिन फिलहाल जो स्थिति बनी है, उसके अनुसार अगर सरकार और यूनियन के बीच कोई समाधान नहीं निकलता, तो यह ऐतिहासिक परिवहन सेवा जल्द ही इतिहास बन सकती है. जानकारी के अनुसार पश्चिम बंगाल में 15 साल से अधिक पुराने कमर्शियल वाहनों के संचालक पर रोक के चलते अगले साल के अंत तक करीब 1500 मीटर युक्त पीली टैक्सियों को सड़क से हटाया जा सकता है. फिलहाल राज्य में लगभग 4500 एंबेसडर मॉडल की मीटर युक्त पीली टैक्सियां चल रही है. लेकिन 2026 तक इनकी संख्या काफी कम जाएगी.
हाईकोर्ट के आदेश को अब सख्ती से लागू कर रही सरकार
कोलकाता हाईकोर्ट ने 2008 में एक आदेश जारी कर 15 साल से पुराने कमर्शियल वाहनों के संचालक पर रोक लगा दी थी. उस आदेश को अब कड़ाई से लागू किया जा रहा है. लोग बताते हैं कि कोलकाता की पहचान बन चुकी इन पीली टैक्सियों का अस्तित्व अब संकट में है. कई टैक्सी यूनियनों ने परिवहन विभाग से इस ऐतिहासिक परिवहन सेवा को बचाने के लिए पुनरुद्धार पैकेज की मांग की है. टैक्सी चालकों के संगठन का दावा है कि कई एंबेसडर मॉडल की पीली टैक्सियां अभी भी सड़कों पर चलने योग्य है. यदि उचित रखरखाव किया जाए, इंजन बदल दिया जाए तो वह कम से कम 5 साल और सड़कों पर चल सकती है.
जानिए क्या मांग कर रही है यूनियन
यूनियन की मांग है कि परिवहन विभाग 15 साल की आयु सीमा को हटाए, जिससे इन टैक्सियों को और कुछ वर्षों तक चलने की अनुमति मिल सके. सूत्रों के अनुसार सरकार मीटर युक्त टैक्सियों को पूरी तरह से खत्म नहीं करना चाहती लेकिन पुराने एंबेसडर मॉडल को बदलना जरूरी मानती है. सूचना तो यह भी है कि पीली टैक्सियों को हटाकर सरकार वैकल्पिक उपाय खोजने में लगी है. सरकार बीएस -6 मानकों के अनुरूप नए मॉडलों को प्रोत्साहित करने और टैक्सी मालिकों को बैंक लोन दिलाने की योजना बना रही है. सरकार यह भी चाह रही है कि जल्दी टैक्सी मालिकों के साथ बैठक की जाए. अब देखना दिलचस्प होगा कि पीली टैक्सियां इतिहास बनती है या फिर बच पाती है. बीएस-6 मॉडल की गाड़ियां पीली टैक्सी की कितनी जगह ले पाती है?
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
4+