चाईबासा (CHAIBASA): एशिया का सबसे बड़ा सारंड़ा जंगल जहां लाल पानी से प्रसिद्द है. वहीं कभी नक्सलियों की गोली कि थरथराहट से गुंजती है. आज वहीं जंगल एक बार फिर आईईडी और केन बम के बलास्ट से लोगों की जान लेने के लिए अतूर हो गई है. हलांकि यह भी सत्य है पुलिस की बढ़ती दबिस के कारण नक्सली बैकफूट पर चली गई है,लेकिन नक्सलियों नें पुलिस से बदला लेने के लिए रूख बदल कर 700 पहाड़ियों से घीरा जंगल आईईडी बम से पसरा हुआ है. नक्सलियों नें कोल्हान के जंगलों में भारी मात्रा में आईडी बम बिछाए हैं. जिसकी चपेट में आने से एक और ग्रामीण की आज मौत हो गयी. मृत व्यक्ति जंगल में केन्दू पत्ता तोड़ने गये थे. घटना बुधवार के दोपहर दो बजे टोन्टो थाना क्षेत्र के लुईया गांव के जंगली इलाके में घटी है. इन इलाकों के जंगलों में अब भी आईईडी बम बिछे हैं. यह पहली घटना नहीं है इससे पहले भी 7 से ज्यादा लोगों ने आईईडी बम की चपेट में आकर कोल्हान के इलाकों में अपनी जान गंवा दी है.
पत्नी संग जंगल गये थे कांडे लागुरी
कांडे लागुरी की उम्र लगभग 50 वर्ष थी। कांडे अपनी पत्नी के साथ केन्दू पत्ता तोड़ने जंगल गये थे. अचानक धमाका हुआ और उनकी मौत हो गयी. चाईबासा पुलिस को जब सुचना मिली तो स्थानीय लोगों के सहयोग से सीआरपीएफ 193 और बटालियन की टीम ने आपसी सहयोग उन्हें जंगली इलाके से बाहर निकाला और पोस्टमॉर्टम के लिए सदर अस्पताल चाईबासा भेज दिया. चाईबासा पुलिस ने इस घटना के बाद गहरी संवेदना व्यक्त की है.
जंगलों में बिछी है मौत
पश्चिमी सिंहभूम जिले के सुदूरवर्ती इलाकों में नक्सलियों की ओर से जगह-जगह आईईडी बम लगाए गये हैं. इन आईईडी का शिकार ग्रामीण हो रहे हैं. विस्फोट की घटना में कई ग्रामीणों की मौत भी हो चुकी है. हाल में ही एक बच्चे की प्रेशर आईईडी विस्फोट की चपेट में आने से मौत हो गयी थी . टोन्टो थाना क्षेत्र के रेंगड़ाहातु गांव में यह घटना घटी थी. अब तक कई लोग इस हमले का शिकार हुए हैं. नक्सलियों द्वारा सुरक्षा बलों से बचने के लिए लगाये गये आईईडी बम की चपेट में ना सिर्फ ग्रामीण आ रहे हैं बल्कि कई जानवरों की भी मौत हो रही है. इन इलाकों से अक्सर मारे गये लोगों की जानकारी सामने आने में वक्त लगता है, ऐसे में जावनरों की मौत की खबर जंगल के अंदर ही दबी रह जाती है.
जंगल पर निर्भर है जीवन
पश्चिमी सिंहभूम के कई इलाकों में स्थानीय लोगों का जीवन पूरी तरह से जंगल पर निर्भर है. ऐसे में जंगल में मौत बिछी होने के बाद भी लोग इसका रुख कर रहे हैं. क्योंकि जंगल के बगैर ग्रामीणों का जीवन यापन करना मुश्किल है. सुरक्षा बल लगातार इन इलाकों में सर्च अभियान चला रहे हैं लेकिन ग्रामीणों की हो रही मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है. पिछले कई महीनों में कोल्हान इलाके में ग्रामीणों की मौत हो रही है. यह मौत सामान्य नहीं है. यह उस जंग का हिस्सा है, जो माओवादी और सुरक्षा बलों के बीच जारी है. ग्रामीण माओवादियों के लगाए आईईडी बम की चपेट में आने से मारे जा र है और संख्या हर रोज बढ़ रही है. वहीं अब गांव के लोग चर्चा कर रहें है कि अखिर और कितने ग्रामीण काल के गाल में समायेगें, कब थमेगी मौत कि शिलशिला.
चार महीने से चल रहा है सर्च अभियान
नक्सलियो की खोज में चाईबासा पुलिस सीआरपी के साथ मिलकर 11 जनवरी से जंगल खंगाल रही है. इसी सर्च अभियान के दौरान आईईडी व केन बम बरामद कि जा रही है. जबकी कई कोबरा के जवान बम बलास्ट में घायल हुए है. पुलिस नें कई बम भी बरामद किए है. लेकिन इन माह में पांच से छह ग्रामीणों की जान चली गई और बेजुवान जानवर इसके शिकार हो रहे हैं.
रिपोर्ट. संतोष वर्मा
4+