टीएनपी डेस्क(TNP DESK): झारखंड में नगर निकाय चुनाव की घोषणा कभी भी हो सकती है. इसे लेकर सभी प्रत्याशी चुनाव की तैयारियों में जुट गए हैं. प्रचार प्रसार भी शुरू कर दिया गया है. लेकिन चुनाव की घोषणा से पहले ही झारखंड निर्वाचन आयोग आयोग ने एक बड़ा फैसला लिया है. चुनाव आयोग ने नगर निकाय चुनाव को लेकर 641 प्रत्याशियों को अयोग्य घोषित कर दिया है. इससे अब ये प्रत्याशी चुनाव नहीं लड़ पाएंगे.
ऐसा क्यों हुआ?
इन उम्मीदवारों के चुनाव लड़ने पर इसलिए रोक लगाया गया क्योंकि इन उम्मीदवारों ने जो पिछला चुनाव लड़ा था उस चुनावी खर्च का हिसाब अभी तक इन्होंने आयोग को नहीं दिया है. जिन उम्मीदवारों को अयोग्य घोषित किया गया है, उनमें से सबसे ज्यादा उम्मीदवार या प्रत्याशी गिरिडीह जिले से हैं. इस जिले से 96 प्रत्याशियों को अयोग्य घोषित किया गया है. इसके अलावा हजारीबाग से 81, लोहरदगा से 62, साहेबगंज से 45, गोड्डा और छतरपुर से 44, मेदिनीनगर से 36, आदित्यपुर से 34 और ऐसे ही बाकी नगर निगम और नगर पार्षद से लड़ने वाले प्रत्याशियों को अयोग्य करार कर दिया गया है. चुनाव आयोग के इस फैसले के बाद फिर से चुनाव लड़ने का उम्मीद लगाए बैठे प्रत्याशियों को बड़ा झटका लगा है.
आरक्षण को लेकर विवाद
बता दें कि नगर निकाय चुनाव के लिए जारी नए आरक्षण रोस्टर को लेकर भी विवाद बढ़ता जा रहा है. किसी एसटी सीट को बदलकर एससी कर दिया गया है तो जनरल सीट को ओबीसी कर दिया गया है. किसी सीट को महिला के लिए आरक्षित कर दिया गया है जो जनरल के लिए था. इसी को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है. रांची मेयर सीट को लेकर भी विवाद है. इस सीट को एससी के लिए आरक्षित कर दिया गया है. इससे आदिवासी संगठन नाराज हैं. इसके लिए आदिवासी संगठन बंधु तिर्की के नेतृत्व में सीएम हेमंत सोरेन से मिलने भी वाले हैं.
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